Delhi: ग्रेटर नोएडा वेस्ट के घर खरीददार अब अपनी आवाज उठाने दिल्ली पहुँचे।पिछले एक साल से मालिकाना हक के लिए लड़ाई लड़ रहे घर खरीदारों का सब्र का बांध टूट गया है। एक मूर्ति पर हर रविवार को रजिस्ट्री और पजेशन की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाले घर खरीदारों ने अब आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। पिछले सप्ताह घर खरीदारों ने जंतर-मंतर पर धरना का एलाना किया था। इसी के तहत रविवार को बड़ी संख्या में घर खरीदार दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचकर धरना प्रदर्शन किया।
एक साल में नहीं हुई सुनवाई
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के खरीददार पिछले एक साल से एक मूर्ति पर न्याय दिलाने के लिए आवाज उठाते आए हैं। अब एक साल पूरा होने पर घर खरीददार दिल्ली पहुंचे। सोसायटी निवासी मिहिर ने बताया कि रजिस्ट्री, अधूरे प्रोजेक्ट और बिल्डर के मनमाने रवैये के खिलाफ आवाज उठाने के एक साल पूरे हो गये हैं। उन्होंने कहा एक साल से हम एक मूर्ति पर धरना दे रहे हैं, लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं है। मिहिर ने कहा राजनेता आते हैं और सुनकर चले जाते हैं, बिल्डर तो दगा देने के लिए ही हैं और अधिकारी सुनने को तैयार ही नहीं है। जबकि हमने लीगल तरीके से ही घर खरीदा है तो हमारा सिस्टम सुनवाई क्यों नहीं कर रहा है।
बिल्डर और प्राधिकरण के बीच पिस रहा खरीददार
मिहिर ने प्राधिकरण पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्राधिकरण कहता है कि उनका बिल्डर से बकाया है, इसलिए उनके फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो रही। अब बिल्डर की गलती का खामियाजा खरीददार क्यों भरे। प्राधिकरण सीधे बिल्डर से वसूली क्यों नहीं करती, आखिर खरीददार पर उसका बर्डन क्यों डाला जा रहा है। खरीददार इको विलेज-3 में रहने वाले चेतन कपूर ने बताया कि करीब 250 खरीददार कोर्ट गये हैं, उनका प्रोजेक्ट ही अभी तक पूरी नहीं हुआ है, जो प्रोजेक्ट पूरे हुए भी हैं, वहां रजिस्ट्री नहीं हो रही। उन्होंने कहा कि खरीददार के नाम पर बैंक से बिल्डर ने लोन ले लिया, उसका खामियाजा खरीददार भुगत रहा और मजे बिल्डर और बैंक मिलकर ले रहे हैं।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एक निवासी ने बताया कि यहां पर तीन से चार लाख लोग अभी निवास कर रहे हैं। लेकिन यहां पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर कुछ नहीं है। यहां पर अभी तक सरकारी बसें भी नहीं चलाई जा रही है। लोगों के पास दो ऑप्शन है, या तो वो अपने निजी व्हिकल का इस्तेलमाल करें या फिर ऑटो बुक करके कहीं पर जाएं।
ये भी है समस्या
कासा ग्रीन-वन में रहने वाली एक महिला ने बताया कि उन्होंने साल 2014 में घर खरीदा था। उन्होंने बताया करीब दो साल पहले रजिस्ट्री की रकम जमा कर चुकी हैं, इनके अलावा सोसायटी के करीब साढ़े पांच सौ लोग हैं, जिन्होंने रजिस्ट्री और स्टॉम्प की रकम का भुगतान कर चुकी हैं। इसके बावजूद उनके फ्लैट की ना तो रजिस्ट्री हुई, ना ही उन्हें अभी तक ओसी प्राप्त हुई है।