80 का दशक.जब फिल्मों में नायक ही खलनायक दिखते थे.उन दिनों गाजीपुर का एक नौजवान .जिसका ऊंचा लंबा कद.गांव के लोग 6 फुटिया कहते थे.क्रिकेट खेलने का शौक.और निशाना अचूक था.बॉलिंग करता तो गिल्लियां उखाड़ देता था.लेकिन बचपन से कांच की गोलियों से खेलने वाला.जवानी की दहलीज लांघते ही बड़ी बड़ी बंदूकों से खेलना लगा था.दशहत और रौब क्षेत्र में ऐसा जमाया की कोई उससे आंख तक मिलाने की जुर्रत कोई भी नहीं करता था.सियासत तो उसे विरासत में मिली.लेकिन उस विरासत को भी उसने अपराध की काली दुनिया में बदल दिया.दुश्मनों से जानलेवा दुश्मनी.गुंडे से गैंगस्टर.दादागिरी से डॉन.माफिया से माननीय बनने की दास्तां है मुख्तार अंसारी की.
मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का डॉन कैसे बन गया
कहते हैं आतंक की खूनी लिखावट मुख्तार ने अपने दोस्त साधु सिंह के साथ ही लिखना शुरु कर दिया था.दरअसल मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का डॉन कैसे बन गया इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है.80 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपने खास दोस्त साधु सिंह के चक्कर में आकर अपराध की दुनिया में कदम रख था.ऐसा नहीं है कि वो किसी क्रिमनल बैकग्राउंड से रहा हो जिसकी वजह से उसने अपराध की दुनिया चुनी.हैरान कर देने वाली बात ये है कि उसके पिता को क्रिकेट का बहुत शौक था.और वे दिल्ली की सेंट स्टीफंस कॉलेज की क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे थे.यही नहीं, मुख्तार को भी क्रिकेट का बड़ा शौक रहा है.
मुख्तार सियासी चोला ओढ़े अपराध का सबसे डर्टी फेस
गाजीपुर के मुहम्मदाबाद युसूफपुर में 1963 में पैदा हुआ मुख्तार सियासी चोला ओढ़े अपराध का सबसे डर्टी फेस है.अंसारी के पास क्राइम की हर वो डिग्री मौजूद है.जो उसे अपराध की काली दुनिया का सबसे बड़ा विलेन बनाती है.रसूखदार परिवार में ऐसा दुर्दांत हत्यारा.और माफिया कैसे पैदा हो गया.ये अपने आप में सोचने वाली बात है. यकीन करना मुश्किल होगा.जिसके दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी ब्रिटिश हुकूमत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हो.जिसके पिता कम्युनिस्ट पार्टी के इज्जतदार नेता रहे हो.जिस शख्स के नाना ब्रिग्रेडियर उस्मान सेना में रहे और साल 1947 की लड़ाई में शहीद हो गए और उनकी शहादत के लिए उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया.जिसका बड़ा भाई अफजाल अंसारी कभी कम्युनिस्ट पार्टी के कद्दावर नेताओं में शूमार रहे हों. उस मजबूत और मशहूर सियासी विरासत में पले बढ़े नौजवान ने कैसे अपराध की दुनिया में कदम रखा. ये सब सोचकर आज भी लोग हैरान हो जाते है.
बारुद की गोलियों से खेलने की सनक
कांच की गोलियों से ज्यादा बारुद की गोलियों से खेलने की सनक ऐसी चढ़ी थी.कि पांच बार विधायक रह चुके गोलियों से भी भून डाला था.मुख्तार अंसारी….एक ऐसा नाम है जिसे सुन के बड़े-बड़े सूरमाओं की हालत पतली हो जाती थी. लोग उसे डॉन के नाम से जानते थे.अपने समय में वो जरायम की दुनिया का अकेला डॉन था. मुख्तार के नाम की दहशत कभी सिर्फ पूर्वांचल में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में रहती थी.वही डॉन अब सलाखों के पीछे दहशत भरी जिंदगी गुजार रहा है.मुख्तार को गैंगस्टर मामले में सजा मिली है.सजा भी 10 साल की.इसी मामले में उसके सांसद भाई अफजाल अंसारी को भी कोर्ट ने चार की सजा सुनाई गई है.मुख्तार का विधायक बेटा अब्बास और बहू निखत पहले से जेल में हैं.इसके साथ ही छोटे बेटे उमर के खिलाफ एक अन्य मामले में गैर जमानती वारंट जारी हो गया है.
मुख्तार की क्राइम कुंडली भी किसी से कम नहीं
पूर्वांचल का जिला मऊ. साल 2005 जब दंगे छिड़े हुए थे.तब भी मुख्तार खूब चर्चा में आया था.क्योंकि सड़कों पर खुली जीप में हथियार लहराते और मूछों पर ताव देते एक माफिया सड़कों पर घूम रहा था.न प्रशासन का खौफ, न कानून की चिंता यूं लगा जैसे वो खुद ‘सरकार’ हो.प्रदेश में खौफ का पर्याय बनी ये तस्वीर खिंचवाने के कुछ महीनों बाद मुख्तार अंसारी जेल चल गया था, मुख्तार की क्राइम कुंडली भी किसी से कम नहीं है मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 60 साल के मुख्तार के खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के अलग-अलग थानों में 64 मुकदमे दर्ज थे.