Noida: नोएडा प्राधिकरण का अभी भी कई बिल्डरों पर करोड़ों रुपये बकाया है। जिसकी वजह से खरीदारों को फ्लैट्स की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है। अमिताभ कांत कमेटी की सिफारिशों के लागू होने के बाद सिर्फ 19 बिल्डरों ने नोएडा प्राधिकरण में 168 करोड़ रुपये जमा किए हैं। जबकि 57 बिल्डरों पर छूट के बाद 6400 करोड़ रुपये बकाया है। इस वजह से सिफारिशों के लागू होने के बाद अब तक 325 ही रजिस्ट्री हुई है।
सहमति के बाद भी 42 बिल्डरों ने पैकेज पर नहीं किए साइन
जानकारी के मुताबिक, 42 बिल्डरों ने बकाया जमा कराने के लिए सहमति जताई थी। इनमें से 19 बिल्डरों ने ही पैसे जमा कराए। जबकि के 23 बिल्डरों ने बगैर पैसे जमा कराए प्राधिकरण के पैकेज पर साइन कर दिए हैं। अभी भी नोएडा के 15 बिल्डरों के साथ प्राधिकरण के पैकेज पर साइन करने के बाबत सहमति नहीं बनी है। पांच बिल्डर तो पैकेज साइन करने पर सहमति जताने के बाद अब आनाकानी कर रहे हैं। प्राधिकरण के साथ सहमति के बाद पैकेज साइन करने वालों में जेएम इंफ्रा, पैन रियल्टर्स समेत करीब 42 बिल्डर हैं। जेएम इंफ्रा ने 18 अप्रैल को 6 करोड़ और पैन रियल्टर ने अलग-अलग तिथियों में 17 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। इसके अलावा करीब 325 रजिस्ट्री भी अलग-अलग बिल्डरों की ओर से कराई गई है।
यूनिटेक बिल्डर पर 9 हजार करोड़ बकाया
बता देंकि नोएडा की 57 पूरी और अधूरी परियोजनाओं पर 8000 करोड़ रुपये नोएडा प्राधिकरण का बकाया है। इन्हें कोविड काल की छूट देने के बाद करीब 20 प्रतिशत राशि कम हो गई है। इसके बाद बकाये की राशि 6400 करोड़ रुपये हो गई है। वहीं, अगर अधूरी परियोजनाओं का भी बकाया जोड़ दिया जाए तो बकाया 28 हजार करोड़ है। लेकिन इनमें से अधिकांश मामले कोर्ट में हैं। यूनिटेक बिल्डर पर अकेले करीब 9 हजार करोड़ का बकाया है। ऐसे ही नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में 17 परियोजनाएं हैं। बाकी परियोजनाएं दूसरी कोर्ट में हैं।
बकाया जमा होने पर 7 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री हो सकेगी
उल्लेखनीय है कि अगर पूरी हो चुकी परियोजनाओं के बिल्डर बकाया राशि प्राधिकरण के पास जमा करा दें तो करीब 7 हजार फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता साफ हो जाएगा। यही वजह है कि अब तक केवल 2000 फ्लैटों की ही रजिस्ट्री का रास्ता साफ हुआ है।
इन पर सबसे अधिक बकाया
एम्स मैक्स गार्डेनिया पर 1634 करोड़, गार्डेनिया एम्स डेवलपर्स पर 665 करोड़, ओमेक्स बिल्ड होम पर 494 करोड़, अंतरिक्ष डेवलपर्स पर 240 करोड़, किंडल इंफ्राहाइट पर 308 करोड़ समेत 100 करोड़ से बड़े बकायेदारों की संख्या 45 हैं। इनमें यूनिटेक और आम्रपाली की परियोजनाएं भी शामिल हैं।