चुनावी सरगर्मियों के बीच कुछ शब्दों ने काफी चर्चाएं बटोरी हैं। ये शब्द लोकसभा चुनावों के बीच अखबारों की सुर्खियां बने रहे। इन दिनों एक शब्द की काफी चर्चा है। जो कि है ‘खटाखट’। अब इस शब्द ने हर किसी का ध्यान खींच रखा है। चुनावी प्रचार के दौरान इस्तेमाल किया गया ये शब्द अब राजनीतिक घमासान की वजह बन चुका है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में जिस एक शब्द का बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं वो है खटाखट…खटाखट। दरअसल राहुल गांधी इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर बेरोजगार युवाओं को पहले एक साल नौकरी और गरीब महिलाओं को हर साल एक लाख रुपये देने की बात करते वक्त इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं। ये शब्द ऐसा वायरल हुआ कि इस पर पीएम मोदी ने राहुल का नाम लिए बिना जवाबी अंदाज में कहा…पंजे और साइकिल के सपने टूट गए खटाखट…खटाखट… राहुल गांधी ने फिर से इस शब्द को लेकर पीएम पर हमला बोल डाला। अब सवाल ये है कि यह शब्द आया कहां से और इसका इतिहास क्या है। हम आम बोलचाल की भाषा में इस शब्द का इस्तेमाल अक्सर करते हैं लेकिन इस शब्द को सुर्खियां चुनाव के दौरान मिलीं।
खट-खट से बना खटाखट
संस्कृत से एक शब्द आया खट जिसका मतलब है दो लकड़ी या धातु की चीजों के टकराने से होने वाली आवाज़। खट से बना खट-खट और खट-खट में ‘आ’ ध्वनि के आ जाने से बन गया खटाखट। खटाखट का मतलब जल्दी, फुर्ती से। इससे ही मिलते-जुलते शब्द हैं फटाफट, चटपट, झटपट और सबका मतलब एक ही है। किसी काम को जल्दी करना या किसी काम का जल्दी होना। कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिनका कोई गंभीर अर्थ नहीं होता और ना ही उनके पीछे कोई एक ठोस शब्द होता है। ये वो शब्द होते हैं जो बोलचाल की भाषा में बन जाते हैं और फिर खूब इस्तेमाल होने लगते हैं। इन दोनों शब्दों में यूं तो बस ‘आ’ का फर्क है, लेकिन इनके मतलब पर काफी फर्क पड़ता है। जहां खटाखट का मतलब होता है जल्दी। वहीं खटखट के मतलब तेज़ आवाज़ के साथ कई बार परेशानी भी होती है। जैसे लोग कहते हैं ये काम मत करो इसमें बहुत खटखट है, मतलब इसमें काफी परेशानियां हैं। तो बस एक ‘आ’ के जुड़ जाने से दोनों शब्दों के बीच बड़ा अंतर आ जाता है।
शब्दों से जुड़ी दिलचस्प बातें
हर भाषा में ऐसे बहुत से शब्द होते हैं जिन्हें हम रोजमर्रा की बातचीत में इस्तेमाल करते हैं लेकिन उनके शाब्दिक अर्थ या उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों पर ध्यान नहीं दे पाते। कई बार इस वजह से कई शब्दों का हम गलत इस्तेमाल भी कर जाते हैं। ऐसी गलती से बचने के लिए जरुरी है कि बोले जाने वाले शब्दों पर ध्यान दिया जाए और उनका मतलब समझने की कोशिश की जाए। देखा जाए तो यही छोटे-छोटे शब्द बड़े-बड़े बवालों को जन्म दे देते हैं। कुछ समय बाद हम उन बवालों को भूल भी जाते हैं, लेकिन ये शब्द सुर्खियों में अक्सर बने रहते है।