यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में सरकार को बड़ा झटका लगा है. मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सरकार को जोरदार झटका देते हुए पूरी मेरिट लिस्ट रद्द कर दी है. साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार को तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का भी आदेश पारित कर दिया है. जिसमें बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण नियमावली का पालन हो. बता दें कि अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती पर सवाल उठाते हुए 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाला का आरोप लगाया गया था. जो कि कोर्ट में सही साबित हो गया है.
3 महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को अगले तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया है. इस मामले में अभ्यर्थी राजेश का कहना है कि अब हाई कोर्ट की डबल बेंच ने भी आरक्षण घोटाले पर मुहर लगा दी है. अब सरकार को जल्द से जल्द मेरिट लिस्ट जारी करना चाहिए और उन सभी लोगों को नौकरी से निकालना चाहिए, जो पात्र नहीं थे. फिलहाल इस मामले में सरकार की ओर से उसका पक्ष अभी सामने नहीं आया है. बता दें कि मामले में हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2024 को अपना फैसला रिजर्व कर लिया था. जिसे 12 अगस्त 2024 को जारी किया गया. हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भी माना कि आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया.
सरकार ने पहले आरक्षण घोटाले से किया था इनकार
दरअसल अखिलेश सरकार में 1.72 लाख शिक्षामित्र को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया था. जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. साथ ही हाईकोर्ट ने नए सिरे से सहायक शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया था. फिर यूपी सरकार ने सबसे पहले 68,500 सहायक शिक्षकों की भर्ती की. यह भर्ती भी सवालों के घेरे में आई और सीबीआई ने मामले की जांच की. वहीं 68500 सहायक शिक्षकों की भर्ती के बाद यूपी सरकार ने 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए दिसंबर 2018 में विज्ञापन निकाला और जनवरी 2019 में परीक्षा हुई. इस भर्ती में 4 लाख 10 हजार अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से 1 लाख 40 हजार अभ्यर्थी सफल हुए थे. इसके बाद सरकार ने मेरिट लिस्ट निकाली. मेरिट लिस्ट आते ही बवाल मच गया, क्योंकि जिन अभ्यर्थियों को विश्वास था कि उनका सेलेक्शन हो जाएगा, वे खाली हाथ रह गए. फिर अभ्यर्थियों ने सभी 69 हजार सहायक शिक्षकों की नियुक्ति का डेटा खंगालना शुरू कर दिया. चार महीने की जद्दोजहद के बाद अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि 19 हजार पदों पर आरक्षण घोटाला हुआ है. उनका आरोप था कि ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी की जगह सिर्फ 3.86 फीसदी आरक्षण मिला, जबकि अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग को 21 फीसदी की जगह 16.2 फीसदी आरक्षण मिला. इसको लेकर हंगामा शुरू हुआ तो सरकार ने आरक्षण घोटाले से इनकार कर दिया.