ग्रेटर नोएडा में सरकार द्वारा 8 हजार वर्ग मीटर के प्लाट की ई-नीलामी कराई जा रही है. जिसका इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा पुरजोर विरोध शुरू हो गया. आईआईए का कहना है कि सरकार की ये नीति ना तो एमएसएमई के हित में है और ना ही रियल इस्टेट इंवेस्टर्स के हित में. इसके साथ ही आरोप लगाया गया है कि इस नीति के तहत सरकारी अधिकारियों द्वारा भूमाफिया, बिचौलियों और फाइनेंसरों को लाभ पहुंचाकर सीएम योगी को गुमराह किया जा रहा है.
शासन का ये कदम MSME उद्यमियों के लिए घातक
आईआईए का कहना है कि एमएसएमई को छोटे भूखंड की जरूरत होती है. जो कि 400, 500, 800, 1000, 1500 और 2000 मीटर तक के होते हैं. जो कि प्राथमिकता के आधार पर वास्तविक उद्यमी को यथार्थ सर्किल रेट पर अगर आसानी से मिल जाएं तो एमएसएमई उद्यमी अपना उद्योग लगाने की हिम्मत कर सकेगा. वरना एमएसएमई उद्यमी को मजबूरन पलायन करना पड़ेगा. वहीं शासन का यह कदम एमएसएमई उद्यमियों के लिए घातक साबित होगा.
नीलामी के जरिए प्लॉट बेचना उद्योगों के लिए सबसे बुरे दिन
आपको बता दें कि प्राधिकरण में औद्योगिक प्लॉट बेचने का एक नया चलन चल गया है. जिसमें औद्योगिक प्लॉटों की बोली लगाई जाती है या यूं कहे कि नीलामी के जरिए औद्योगिक प्लॉट बेचने शुरू कर दिए गए हैं. जो कि उद्योगों के लिए सबसे बुरे दिन है. इसके तहत सरकार 8 हज़ार मी. से छोटे औद्योगिक प्लाट को नीलामी से अलॉट करेगी और 8 हज़ार मी. से बड़े प्लाट को इंटरव्यू के आधार पर अलॉट करने की घोषणा से एमएसएमई उद्यमी नाराज हैं.