अश्विनी मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है, इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. शरद पूर्णिमा को ‘कौमुदी व्रत’, ‘कोजागरी पूर्णिमा’ और ‘रास पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था. कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात को चांद की किरणों से अमृत बरसता है. इसी वजह से इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रातभर चांदनी में रखने का रिवाज है. इसके अलावा इस दिन महिलाएं व्रत भी रखती हैं. शरद पूर्णिमा पर छह लड्डू बनाए जाते हैं. उनमें एक बाल गोपाल को, एक गर्भवती महिला को, एक सखी को, एक पति को, एक तुलसी मैया को, एक लड्डू व्रत करने वाली महिलाएं खुद लेती हैं.
शरद पूर्णिमा
सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है इस दिन चांद की रोशनी में रात में खीर रखी जाती है और उसे प्रसाद के रूप में अगले दिन खाया जाता है
किस दिन मनाई जाएगी
हिंदू पंचांग के अनुसार उदया तिथि में 17 अक्टूबर 2024 को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी
इस बार की शरद पूर्णिमा खास
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा मीन राशि में रहेंगे, जो धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत शुभ माना जा रहा है
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी रात में खीर रखी जाती है, ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है
शरद पूर्णिमा पर कब निकलेगा चांद?
पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय शाम 5:05 बजे पर होगा, इसीलिए 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी
खीर रखने का समय
ज्योतिषाचार्य के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखी जाती है, खीर रखने का शुभ समय 8:40 बजे से हैं
खीर रखने का महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है मान्यता है कि इस दिन चांद की रोशनी में खीर बनाकर रखी जाती है, ऐसा कहा जाता है कि चांद की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, इसके सेवन से कई रोगों से मुक्ती मिलती हैं