महाकुंभ में समाजवादी पार्टी के नेताओं ने मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान के नाम से पहली बार कैंप आवंटित कराया है. यज्ञशाला के शक्ल में बनी कुटिया में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की 5 फीट ऊंची कांसे की प्रतिमा लगाई गई है। पार्टी के कार्यकर्ता इस पर पुष्पवर्षा कर माल्यार्पण कर मुलायम सिंह यादव का नमन कर रहे हैं. सपा नेताओं का कहना है कि मुलायम सिंह यादव उनके लिए भगवान की तरह हैं, इसीलिए महाकुंभ में उनकी यह मूर्ति लगाई गई है, ताकि समाजवादी सोच के लोग उनकी पूजा अर्चना कर सकें। प्रतिमा पर माल्यार्पण करने का सपा नेताओं का वीडियो वायरल होने के बाद साधु- संतों में खासी नाराजगी है। साधु- संन्यासियों का कहना है की कुंभ में मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा क्यों लगाई गई है?
प्रतिमा लगाने वालों का भाव सही नहीं
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी का कहना है कि मुलायम सिंह का मैं विरोधी नहीं हूं, लेकिन प्रतिमा लगाने वालों का भाव सही नहीं लग रहा है। अयोध्या में साधु- संतों, निहत्थे कारसेवकों पर गोलियों की बौछार कराने वाले मुलायम सिंह की महाकुंभ में प्रतिमा क्यों लगाई जा रही है? इस मुद्दे को 27 जनवरी को हो रही धर्म संसद में यह मुद्दा भी जोर शोर से उठाया जाएगा.
महाकुंभ में नेताओं की प्रतिमा लगाना गलत
उधर, साधु- संन्यासियों का कहना है कि मुलायम सिंह की प्रतिमा या किसी भी नेता की प्रतिमा को महाकुंभ में नहीं लगना चाहिए। महाकुंभ में देवताओं की मूर्ति स्थापित होती है, ध्वज पताकाएं स्थापित होती है। सनातन धर्म के झंडे स्थापित किए जाते हैं। किसी भी राजनेता की प्रतिमा का महाकुंभ की धरती पर क्या काम है? जिस जगह देवी देवताओं की मूर्तियां लगती हैं मूर्तियों की पूजा की जाती है वहां किसी राजनेता की प्रतिमा लगाया जाना अपमानजनक है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी का कहना है कि इस वक्त प्रतिमा लगाने का सीधा मतलब है सस्ती लोकोप्रियता हासिल करना। समाजवादी पार्टी माइलेज गेन करना चाहती है. इसलिए इस तरह की ओछी हरकत की गई है। इसका विरोध किया जाएगा।
11 जनवरी को हुआ था प्रतिमा का अनावरण
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा का अनावरण 11 जनवरी को नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने किया था। प्रतिमा स्थापना के बाद उनका बयान आया था कि मुलायम सिंह यादव ने रक्षा मंत्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का दायित्व निभाया था। उनके फैसले मील के पत्थर साबित हुए हैं। उन्होंने समाज के पिछड़ों, दलितों, महिलाओं , किसानों , नौजवानों और अल्पसंख्यकों के हित में जीवन भर संघर्ष किया। ऐसे में उनकी प्रतिमा लगना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देना है।