प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के यूएई दौरे पर रहेंगे. वो इसके लिए वहां पहुंच भी चुके है. जहां उनका भव्य तरीके से स्वागत भी किया गया. साल 2014 में पीएम बनने के बाद से उनकी संयुक्त अरब अमीरात की सातवीं यात्रा है. इस दौरान पीएम की भेंट यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से होगी।जिस दौरान दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को नई धार देने की कोशिश करेंगे. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो “दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, आपसी हित से जुड़े क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी और विस्तृत बातचीत की जाएगी.” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात राष्ट्रपति के अलावा यूएई के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से भी तय है. पीएम दुबई में विश्व सरकार शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे और फिर एक भाषण देंगे. दुबई के बाद पीएम का कार्यक्रम अबू धाबी का है. जहां वे अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे. यहीं उनका एक और कार्यक्रम भारतीय समुदाय को संबोधित करने का भी है.
भारत-UAE के संबंधों को मिलेगी मजबूती
भारत-यूएई संबंध राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बुनियादों पर टिके हुए हैं. भारत-यूएई की निकटता का सबसे मजबूत आधार द्विपक्षीय व्यापार है. 2020-23 के आधिकारिक आंकड़ों पर गौर करें तो इस दौरान भारत-यूएई के बीच लगभग 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ. साथ ही भारत के लिए यूएई इसलिए भी जरूरी है क्योंकि साल 2022-23 के दौरान भारत में FDI निवेश करने वाले टॉप 4 देशों में शामिल रहा. UAE में भारतीय समुदाय के तकरीबन 35 लाख लोग रहते हैं, जो कि भारतीय समुदाय का सबसे बड़ा प्रवासी समूह है. दोनों देशों के बीच फरवरी 2022 में एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर दस्तखत हुआ। इसको संबंधों में मील का पत्थर माना जाता है.
इंदिरा के बाद पहले PM जिसका UAE से खास रिश्ता
भारत और यूएई संबंधों का एक मजबूत आधार साल 1976 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने रखा. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए मई, 1981 में यूएई गईं. उसके बाद कोई भी प्रधानमंत्री अगले तकरीबन साढ़े तीन दशकों तक यूएई नहीं गया. जिसके बाद पीएम मोदी ने अपने दस साल के कार्यकाल में कुल 7 बार यूएई को तरजीह दी है. पीएम मोदी की यात्रा यूएई के अलावा कतर को भी कवर करेगी क्योंकि कतर ने अभी हाल ही में 8 भारतीयों की सजा माफ की है.