Greater Noida: ग्रेटर नोएडा स्थित मैसर्स रेडिकान इंफ्रास्ट्रक्चर के दो निदेशक, बैंक प्रबंधक व अन्य के खिलाफ धोखाधाड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। यह यह केस कोर्ट के आदेश पर में अरविंद श्रीवास्तव की तहरीर पर दर्ज किया गया है। आरोप है कि बिल्डर ने तीन साल में कब्जे का वादा किया था जबकि दस साल बाद भी उनको फ्लैट नहीं मिला। बिसरख कोतवाली पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
2013 में शिकायतकर्ता ने कराया था फ्लैट बुक
बीटा दो सेक्टर में रहने वाले अरविंद श्रीवास्तव ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि उन्होंने 17 जनवरी 2013 को एचडीएफसी बैंक से लोन लेकर मैसर्स रेडिकान इंफ्रास्ट्रक्चर की परियोजना में 44.68 लाख का फ्लैट बुक कराया था। फ्लैट बुक कराते समय बिल्डर की ओर से कहा गया था कि 3 साल में फ्लैट का पजेशन मिल जाएगा। जबकि बिल्डर को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से ओसी सर्टिफिकेट नहीं मिला। इस वजह से 2015 में निर्माण कार्य रुक गया।
बिल्डर ने आयोग के आदेश के बाद भी नहीं लौटाया पैसा
इसके बाद राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग में अर्जी दाखिल की। 7 अक्टूबर 2022 को आयोग ने बिल्डर को दो महीने के अंदर खरीदार को नौ फीसदी ब्याज समेत सारी रकम लौटाने के लिए कहा था। लेकिन बिल्डर ने आयोग का निर्देश नहीं माना। अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 28 अगस्त को वह अपने फ्लैट पर गए तो उन्होंने देखा कि वहां कोई अन्य व्यक्ति गृहप्रवेश कर रहा है। उन्होंने स्टे की जानकारी देते हुए गृह प्रवेश करने वाले से बात की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आरोप है कि बिल्डर ने बाउंसर को बुला लिया।
इन लोगों के खिलाफ मुकमा दर्ज
बिसरख कोतवाली प्रभारी अनिल राजपूत ने बताया कि मैसर्स रेडिकान इंफ्रास्ट्रक्चर के निदेशक आलोक कुमार, निदेशक अमित कुमार, अर्पित गौतम, आफिस इंचार्ज रंजना चौधरी, शेयर होल्डर राजीव वर्मा, अजीत सिंह, बैंक प्रबंधक मानस कुमार पाठक, नुपुर किशोर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की जांच की जा रही है। बिल्डर ने तीन साल में कब्जे का वादा किया था जबकि दस साल बाद भी शिकायतकर्ता को फ्लैट नहीं मिला।