Greater Noida: जेपी एसोसिएशन को यमुना प्राधिकरण स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में राहत मिल सकती है। लेकिन इसके लिए कंपनी को अपने कुल कर्ज का 25 फीसदी चुकाना होगा. कंपनी के उपर करीब एक हजार करोड़ रूपए का बकाया है. इसके लिए कंपनी को बकाया राशि में से 200 करोड़ रुपये जमा कराने होंगे। इसके बाद ही निरस्त की गई परियोजना को बहाल किया जाएगा। अमिताब कांत कमेटी की सिफारिशों का लाभ हासिल करने के लिए कंपनी को कुल बकाए का 25 फीसदी (करीब 250 करोड़) जमा करना होगा। इसके बाद ही योजना से जुड़े 9000 आवंटियों की रजिस्ट्री का रास्ता खुलेगा।
पहले बकाया चुकाए कंपनी
शुक्रवार को जेपी एसोसिएशन को लोन देने वाले एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और आईडीआरसीएल का प्रतिनिधिमंडल यीडा के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह से मिला। बैंक अधिकारियों ने परियोजना की स्थिति और अपना पैसा हासिल करने के उपायों पर चर्चा की। चर्चा के दौरान सीईओ ने कहा कि प्राधिकरण जेपी एसोसिएट को राहत दे सकता है। लेकिन इसके लिए जेपी समूह को सबसे पहले 200 करोड़ रुपये देकर ही परियोजना को बहाल कराना होगा. इसके बाद जितना बकाया जमा होगा, उसी के अनुसार जमीन का आवंटन बहाल किया जाएगा। इससे समूह जमीन बेचकर पैसा लौटा सकता है। साथ ही इस मामले में अदालत का जो फैसला आएगा, उसका अनुपालन किया जाएगा।
प्रोजेक्ट में हैं 14 परियोजनाएं :
यमुना प्राधिकरण ने जेपी एसोसिएट्स को एक हजार हेक्टेयर जमीन स्पेशल डेवलपमेंट जोन (एसडीजेड) के लिए दी थी। बुद्ध
इंटरनेशनल सर्किट और क्रिकेट ग्राउंड इसी के प्रोजेक्ट का हिस्सा है। एसडीजेड प्रोजेक्ट में कुल 14 आवासीय परियोजनाएं हैं। इसमें लगभग नौ हजार के करीब खरीदार फंसे हैं। जेपी पर जमीन आवंटन का करीब 1044 करोड़ रुपये बकाया है। कर्ज नहीं अदा करने पर प्राधिकरण ने दिसंबर 2019 में आवंटन रद्द कर दिया था। इस कार्रवाई के बाद जेपी समूह ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यह मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है।