वक्फ संशोधन बिल 2025 कानून बनने से एक कदम दूर, राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार, राज्यसभा-लोकसभा से हो चुका है पास

- Nownoida editor2
- 04 Apr, 2025
Noida: वक्फ संशोधन बिल 2025 लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास
हो गया है. अब कानून बनने से एक कदम दूर है. दोनों सदनों से पास होने के बाद अब
इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन
जाएगा.
राष्ट्रपति से मंजूरी का इंतजार
गुरुवार को अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन
बिल 2025 को पेश किया. लंबी चर्चा के बाद राज्यसभा में इस बिल पर वोटिंग हुई.
जिसमें बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े वहीं विरोध में 95 सदस्यों ने वोटिंग की.
बुधवार को लोकसभा से भी यह बिल पास हो चुका है. लोकसभा में बिल के पक्ष में 288
वोट पड़े जबकि विरोध में 232 वोट पड़े. अब इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी का
इंतजार है.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्या कहा
बिल पर चर्चा करते हुए कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा
कि यह बिल अल्पसंख्यकों को तंग करने के उद्देश्य से लाया गया है. उन्होंने कहा कि
1995 के एक्ट में जो मौलिक तत्व थे, उन्हें शामिल किया गया है, लेकिन की ऐसी बातें भी
जोड़ी गई हैं, जो नहीं होनी चाहिए थी. खड़गे ने इस बिल की कई
खामियों की ओर इशारा किया और इसे अल्पसंख्यकों के हित में नुकसानदायक बताया.
उन्होंने कहा कि बजट को 4000 करोड़ से घटाकर 2800 करोड़ कर दिया गया है. खड़गे ने
कहा कि सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय की पांच महत्वपूर्ण योजनाओं को बंद कर दिया है
और उसके बावजूद पसमांदा और महिलाओं के विषय में बड़ी-बड़ी बातें की जा रही है.
किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में क्या कहा
बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड एक
वैधानिक निकाय है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए. इस बिल से एक भी मुस्लिम का
नुकसान नहीं होगा. करोड़ों मुसलमानों को फायदा होगा. केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य
मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बिल पर चर्चा के बाद कहा कि मुस्लिमों के
धार्मिक कार्यकलापों में किसी तरह का हस्तक्षेप कोई गैर मुस्लिम नहीं करेगा.
उन्होंने कहा कि आप चाहते हैं कि वक्फ बोर्ड में बस मुस्लिम ही बैठै. हिन्दू या
किसी दूसरे धर्म के लोगों के साथ विवाद होगा तो कैसे तय होगा. इस तरह की बॉडी जो
है, वह सेक्युलर होना चाहिए. इसमें चार लोग हैं
तो वह निर्णय कैसे बदल सकते हैं.
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