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टॉयलेट और खाने के लिए भी नहीं खोली हथकड़ी और पैरों की बेड़ियां, अमेरिका से लौटे अवैध प्रवासियों की आपबीती

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अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर बुधवार दोपहर 104 अवैध प्रवासी भारतीयों को लेकर अमृतसर के गुरु रविदास इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचा। अमेरिका से डिपोर्ट किए गए पुरुषों और महिलाओं ने पंजाब सरकार के अधिकारियों को बताया कि उन्हें ट्रैवल एजेंटों ने गुमराह किया था। कई प्रवासी अपनी स्थिति को लेकर शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं और अपने परिवार को सच्चाई बताने से हिचकिचा रहे हैं।


पंजाब सरकार ने किया समर्थन का वादा

पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रशासन ने डिपोर्ट किए गए परिजनों  से संपर्क कराने और घर वापसी की व्यवस्था करने में सहायता दी है। लोकसभा उपनेता गौरव गोगोई ने गुरुवार को सदन में स्थगन प्रस्ताव देकर इस मामले पर चर्चा की मांग की है। वहीं, एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि राज्य सरकार प्रवासियों की हर संभव सहायता करेगी।

एजेंटों ने अवैध मार्गों से भेजा

एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अवैध रूप से अमेरिका गए लोग जैसे बहुत दिनों बाद गरम खाना खाया हो। सरकार अब उन एजेंटों की पहचान करने में जुटी है, जिन्होंने अवैध मार्गों से लोगों को भेजा था। इनमें से कुछ प्रवासी एक वर्ष या उससे अधिक समय तक यूके में रहने के बाद अमेरिका पहुंचे थे। अधिकारी ने बताया कि विमान में बच्चों को छोड़कर सभी यात्रियों को हथकड़ी लगाई गई थी। लैंडिंग के बाद कुछ लोग मानसिक रूप से टूट गए थे। उन्हें दाल-चावल, रोटी और सब्जी दी गई। जबकि बच्चों को बिस्कुट, जूस और रंग भरने वाली किताबें उपलब्ध कराई गईं थीं। 

40 घंटे नरक की तरह, खुद को घसीटकर शौचालय ले गए

होशियारपुर के ताहली गांव के 40 वर्षीय हरविंदर सिंह उन 104 अवैध प्रवासियों में शामिल थे, जिन्हें अमेरिका ने वापस भेजा। उन्होंने बताया कि 40 घंटे की यात्रा में उन्हें हथकड़ियों और पैरों में जंजीरों से जकड़कर रखा गया। वे अपनी सीट से हिल भी नहीं सकते थे। बार-बार अनुरोध करने के बाद, उन्हें शौचालय जाने की अनुमति दी गई, लेकिन सुरक्षा कर्मी दरवाजा खोलकर अंदर धकेल देते थे। हरविंदर सिंह ने बताया कि यात्रा बेहद कठिन और मानसिक रूप से थका देने वाली थी। यात्रियों को हथकड़ी लगाकर खाना खाने को मजबूर किया गया। हालांकि, एक दयालु चालक दल के सदस्य ने उन्हें फल दिए।

एजेंटों ने लाखों रुपये लेकर भेजे

भारत लौटे कुछ लोगों ने कि वे ट्रैवल एजेंटों के धोखे का शिकार हुए हैं। कई लोगों के परिवारों ने उन्हें अमेरिका भेजने के लिए लाखों रुपये तक खर्च किए थे, इस उम्मीद में कि वे वहां शरण के लिए आवेदन कर सकेंगे। सरकार ने पंजाब एनआरआई विंग और जिला रोजगार ब्यूरो की हेल्पलाइन उपलब्ध कराई है ताकि उन्हें आवश्यक सहायता दी जा सके। एक  व्यक्ति के दादा ने बताया कि उनका पोता 15 दिन पहले ही अमेरिका गया था। परिवार ने उसे भेजने में कितना पैसा खर्च किया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। वहीं, एक अन्य व्यक्ति 23 लाख रुपये खर्च कर अमेरिका में बस ड्राइवर बन गया था।



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