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Milkypur में योगी ने जो कहा वो कर दिखाया, ले लिया अयोध्या की हार का बदला, काम आई ये रणनीति

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लोकसभा चुनावों में बीजेपी को अयोध्या में मिली हार का बदला आखिरकार सीएम योगी ने ले ही लिया. मिल्कीपुर में साठ हजार से ज्यादा वोटों की जीत ने ना केवल अयोध्या की हार से बीजेपी के दागदार हुए दामन को धो दिया बल्कि सीएम योगी के नेतृत्व को और ज्यादा मजबूत कर दिया है. इस जीत के बाद अब हर ओर सीएम योगी के नाम का डंका बज रहा है. आपको बता दें कि मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान की ऐतिहासिक जीत हुई है. बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने 61540 वोटों से दर्ज कर सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद को परास्त कर दिया है.

सपा के पीडीए फॉर्मूले को सीएम योगी ने किया चूर

लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्ष के पीडीए फॉर्मूले ने बीजेपी का खासा नुकसान पहुंचाया था. पासी समाज के अवधेश प्रसाद ने पिछड़ों का एकमुश्त वोट हासिल किया. इस सुरक्षित सीट से अवधेश प्रसाद का रिकॉर्ड जबरदस्त रहा है. वो 9 बार यहां से चुनाव जीते. इस बात को ध्यान में रखकर सीएम योगी ने चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाने की रणनीति बनाई, जिसे पार्टी ने भी स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही मिल्कीपुर में सीएम योगी ने बीजेपी के पिछड़े नेताओं और सरकार में पिछड़ी जाति के मंत्रियों को उतार दिया. पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी केशव मौर्या को सौंपी गई. सपा के जातीय समीकरण को सीएम योगी ने उन्हीं की भाषा में जवाब देकर पिछड़ों में बीजेपी के प्रति जो दृष्टिकोण बदला था. उसे वापस पार्टी से जोड़ने में कामयाबी हासिल कर ली.

नाराज ब्राह्मण वोटरों को सीएम ने मनाने की कोशिश की 

यूपी में लोकसभा चुनाव के सामने आए परिणाम साफ कह रहे थे कि वोटर नाराज हैं, खासकर के साधु-संत और ब्राह्मण वोटर. इन ब्राह्मण वोटरों को मनाने के लिए सीएम योगी ने संतों से मुलाकात की. इस मुलाकात में उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास किया गया. अयोध्या में विकास कार्यों के कारण जिनके मकान तोड़े गए या जिनको उचित मुआवजा नहीं मिला था, वो नाराज थे. उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया गया. बीजेपी के बिखरे वोट बैंक को सीएम ने एक बार फिर से संवारा. महाकुंभ के आयोजन में भी संत समाज और ब्राह्मण मतदाता खासा उत्साहित नजर आया. ये भी एक बड़ा कारण रहा बीजेपी की जीत का. 

सपा के परिवारवाद की सीएम योगी ने निकाली काट

अयोध्या से अवधेश प्रसाद सांसद और मिल्कीपुर से उनके बेटे अजीत प्रसाद को विधायक बनाने के लिए सपा ने प्रत्याशी बनाया था. जिसको सीएम योगी ने लोगों के सामने परिवारवाद के उदाहरण के तौर पर इस तरह पेश किया कि सपा के पास इसकी कोई काट नहीं बची. मिल्कीपुर की जनता को सीएम योगी ये समझाने में कामयाब हुए कि अवधेश प्रसाद अयोध्या को अखिलेश यादव की मदद से अपने लिए सैफई बनाना चाहते हैं. परिवारवाद के इस आरोप पर ना तो सपा और ना ही अवधेश प्रसाद जनता को कोई संतोषजनक जवाब दे सके. जिसका परिणाम ये हुआ कि अजीत प्रसाद अपना बूथ तक हार बैठे. 

सीएम योगी का हेलीकाप्टर शॉट से खाए मात

 सपा को अवधेश प्रसाद को आगे करना और अयोध्या का राजा बताना महंगा पड़ गया. सीएम योगी ने सपा की इस रणनीति को फेल कर दिया. मिल्कीपुर का लगातार दौरा और अपने सभी मंत्रियों को जनता के बीच उतार कर सीएम ने ये संदेश दिया कि मिल्कीपुर की जनता सर्वोपरि है और जनता की शिकायतों को दूर करना सीएम और उनके मंत्रियों का प्रमुख कार्य है. हालांकि हालात को काबू करने के लिए रेप और मर्डर केस को मुद्दा बनाकर अवधेश प्रसाद ने रोने तक की राजनीति कर डाली लेकिन सीएम योगी की रणनीति के आगे वो भी कारगर साबित ना हुआ. 


सपा-कांग्रेस गठबंधन पर सीएम योगी का करारा वार 

मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा-कांग्रेस समझौते का ना होना और अखिलेश यादव का दिल्ली चुनाव में केजरीवाल के लिए वोट मांगना सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद की हार का सबब बन गया. सीएम योगी ने इस बात को अपने सहयोगी दलों के नेताओं के द्वारा खूब भुनाया. चुनाव के दौरान ओमप्रकाश राजभर लगातार ये कहते दिखाई दिए कि सपा किसी के साथ सहयोग कर ही नहीं सकती. जिसका असर ये हुआ कि कांग्रेस के वोटरों ने अजीत प्रसाद से दूरी बना ली, जबकि सपा के वोटरों में इस बात को लेकर निराशा दिखाई दी कि अखिलेश मिल्कीपुर को समय देने की बजाया दिल्ली को ज्यादा समय दे रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर सीएम योगी नाराज स्थानीय नेताओं से मुलाकात कर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश में लगे रहे. खब्बू तिवारी जैसे नेता से सीएम योगी ने तीन बार मुलाकात की.

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