Noida: दुजाना गांव में नवरात्र में दादी सत्ती मंदिर में रात-दिन चलने वाले शारद दुर्लभ यज्ञ का दशहरे पर समापन हो गया। शारद दुर्लभ यज्ञ के संयोजक सदस्य एवं प्रभारी ओमवीर सिंह आर्य एडवोकेट ने बताया कि समापन कार्यक्रम मे सैकड़ो महिलाओं एवं पुरुषों ने आहुतियां देकर शारद दुर्लभ यज्ञ को दशवे दिन पूर्ण किया।
अब तक विश्व में केवल दो ही शारद दुर्लभ यज्ञ हो पाए
भरतपुर से आये शारद दुर्लभ यज्ञ के ब्रह्मा रहे स्वामी मोहन देव ने बताया कि स्वामी दयानंद की ईश्वर और यज्ञ में निष्ठा थी। वेदों ने ईश्वर को अद्वितीय अर्थात ‘एक ही’ बताया है। दूसरा ईश्वर होने का निषेध किया है। दयानंद के अनुसार सृष्टि के तीन मूल कारण ईश्वर, जीव एवं प्रकृति हैं। स्वामी ने बताया कि यह दुजान गांव का सौभाग्य है कि महाभारत काल से और अब तक विश्व में केवल दो ही शारद दुर्लभ यज्ञ हो पाए हैं। पहले यह शारद दुर्लभ यज्ञ इमलिया ग्रेटर नोएडा और दूसरा शारद दुर्लभ यज्ञ दुजाना गांव में आज संपन्न हुआ है। आगले वर्ष शारद दुर्लभ यज्ञ ग्राम टिला गांव गाजियाबाद में होगा।
सुख-सौभाग्य के लिए हवन-यज्ञ की परंपराः महेंद्र सिंह
शारद दुर्लभ यज्ञ कार्यक्रम के संयोजक आर्य प्रतिनिधि सभा गौतमबुद्धनगर के अध्यक्ष महेंद्र सिंह आर्य ने बताया कि शारदी रोगानां माता- आयुर्वेद के इस कथन से शरद ऋतु रोगों को माता है। शारदी रोगों का निवारण कर प्राणी मात्र को स्वस्थ बनाने के लिए ईश्वरीय ज्ञान ऋग्वेद के छटे मण्डल में शरद ऋतु अहर्निश शारद यज्ञ कर संसार हित करने का विधान किया गया है। सदियों से सनातन संस्कृति में सुख-सौभाग्य के लिए हवन-यज्ञ की परंपरा रही है। अग्नि के जरिए ईश्वर की उपासना करने की विधि हवन या यज्ञ कहलाती है। हवन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री सेहत के लिए अत्यंत फायदेमंद होती है। मान्यता है कि औषधि युक्त हवन सामग्री से हवन-यज्ञ करने से पर्यावरण की शुद्धि होती है। इसी ईश्वरीय आदेश का पालन करते हुए संसार- हित के लिए ग्राम दुजाना में दस दिवसीय ‘शारद दुर्लभ यज्ञ’ का आयोजन आर्य समाज दुजाना एवं अ.भा. राज्यार्य सभा द्वारा किया गया।
परमेश्वर की परिकल्पना ब्रह्माण्ड की संरचना से जुड़ीः आचार्य सत्यव्रत मुनि
कार्यक्रम में अजमेर से आये आचार्य सत्यव्रत मुनि ने अपने कहा कि परमेश्वर वह सर्वोच्च परालौकिक शक्ति है, जिसे इस संसार का सृष्टा और शासक माना जाता है। हिन्दी में परमेश्वर को भगवान, परमात्मा या परमेश्वर भी कहते हैं। अधिकतर धर्मों में परमेश्वर की परिकल्पना ब्रह्माण्ड की संरचना से जुड़ी हुई है। संस्कृत की ईश् धातु का अर्थ है- नियंत्रित करना और इस पर वरच् प्रत्यय लगाकर यह शब्द बना। बब्बली नागर धर्मपत्नी निवासी सादुल्लापुर एवं अन्य सात-पति पत्नी शारद दुर्लभ यज्ञ में यजमान रह एवं वैदिक भजनों द्वारा यज्ञ वैदिक मन्त्रों से निरन्तर आरम्भ रहा।
यज्ञ के समापन पर ये लोग रहे मौजूद
कार्यक्रम का महेंद्र सिंह ने संचालन किया। हुकम सिंह आर्य दुजाना आर्य समाज प्रधान,वैदिक भजनों उपदेशक कल्याण सिंह आर्य बिजनौर, भजनोउपदेशक महास्य राम गोपाल आर्य मथुरा, ओम प्रकाश आर्य भरतपुर, मास्टर ज्ञानेंद्र आर्य अकिलपुर एकल बिजेंदर आर्य अकिलपुर वीरेंद्र नगर प्रधान अकिलपुर अजीत सिंह अकिलपुर महिपाल सिंह आर्य भजन उपदेशक मथुरा भूप सिंह आर्य कुड़ी खेड़ा, ललित आर्य नरौली, वेद प्रकाश आर्य नारोली, सतपाल सिंह आर्य इमलिया, धर्मेंद्र शास्त्री जलालपुर, वीरेंद्र आर्य कुड़ी खेड़ा स्वामी प्रकाशानंद मथुरा, मास्टर ब्रह्मा सिंह, चरण सिंह आर्य अकलपुर, ओमपाल आर्य मन्त्री आर्य समाज दुजाना, ईलचन्द नागर, मोनू प्रधान, यशवीर भगतजी, मास्टर मौजीराम, श्यामेंद्र नागर ब्लाक प्रमुख पुत्र, डाक्टर देवेंद्र आर्य, मास्टर भूपेंद्र नागर, सतपाल आर्य, जयप्रकाश आर्य कोडली बांगर आर्य, जगबीर आर्य,श्यौराज नागर, बाबू राम नागर, जालेन्द्र आर्य, यशवीर सिंह आर्य, नन्द किशोर नागर, बब्बली नागर, कर्मवीर आर्य, मास्टर नरेंद्र नागर,सागर नागर, दिवाकर आर्य,पंकज आर्य,सत्यपाल आर्य, एवं ग्राम दुजाना और आस पास के गांवों से आये सैकड़ों यज्ञ प्रेमी भगतों, माताओं और बहनों ने यज्ञ पर आहुतियां देकर कर यज्ञ की शोभा बढ़ायी।