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UP Assembly Elections: सपा के नक्शे कदम पर अपना दल: क्या सपा के फॉर्मूले को हाईजैक कर पाएंगी अनुप्रिया पटेल ?

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए सभी पार्टी अपनी रणनीति तैयार कर रही है। वहीं अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व में पार्टी ने संगठनात्मक पुनर्गठन किया है, जिसमें दलित, ओबीसी और मुस्लिम समुदायों को साधने का प्रयास किया जा रहा है। 2024 के नतीजों से सबक लेते हुए, पार्टी 2027 में मजबूत स्थिति में आने के लिए खुद को तैयार करने में जुटी है और पंचायत चुनावों में भी अपनी ताकत दिखाएगी।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। 2027 विधानसभा चुनाव भले ही दो साल दूर हो, लेकिन सियासी बिसात अभी से बिछाई जा रही है। बीजेपी की सहयोगी रही अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल अब अपने बूते चुनावी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं। खास बात ये है कि अनुप्रिया पटेल, अखिलेश यादव के 2024 के 'पीडीए फॉर्मूले' को अपनाकर दलित, ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही हैं।


अपना दल (एस) ने बीजेपी के साथ गठबंधन में रहते हुए 2014 और 2019 में दो लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही, लेकिन 2024 में केवल अनुप्रिया पटेल ही अपनी मिर्जापुर सीट जीती थी। अनुप्रिया को करीब 37 हजार वोटों से जीत मिली थी जबकि रॉबर्ट्सगंज सीट पर उनकी पार्टी को हार मिली थी। 2024 की हार से सबक लेते हुए अनुप्रिया पटेल ने 2027 के लिए अपनी पार्टी के सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद में अभी से ही शुरू कर दिया है। इसके लिए एक के बाद एक नियुक्ति हो रही हैं।

नया समीकरण: दलित + ओबीसी + मुस्लिम

2024 की हार से सबक लेते हुए अनुप्रिया पटेल ने संगठन का पुनर्गठन शुरू कर दिया है। बीते एक महीने में कई अहम नियुक्तियां की गई हैं। 29 मई को आरपी गौतम (जाटव समुदाय) को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।16 जून को अम्माद हसन को युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष और आदित्य प्रसाद पासी को एससी-एसटी मोर्चा का प्रमुख नियुक्त किया गया।
इसके अलावा सभी 403 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने समन्वयक तैनात कर दिए हैं, जिससे साफ संकेत है कि पार्टी बूथ स्तर तक पहुंच बना रही है।

अपना दल (एस) की कोर ताकत अब सिर्फ कुर्मी समुदाय नहीं रह गया है।

अनुप्रिया पटेल खुद ओबीसी वर्ग से आती हैं। दलित समाज से दो बड़े नाम—जाटव और पासी—को संगठन में जगह दी गई है। वहीं मुस्लिम समुदाय से अम्माद हसन की नियुक्ति बताती है कि पार्टी अब सर्वसमावेशी सामाजिक गठबंधन तैयार करने में जुटी है।

सामाजिक न्याय पर फोकस

आरपी गौतम कहते हैं कि अपना दल के संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने और पार्टी के विस्तार करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी का पूरा जोर सामाजिक न्याय के मुद्दे पर है, जिसमें दलित, ओबीसी और वंचित समाज के उत्थान पर फोकस कर रहे हैं। 12 अप्रैल को आंबेडकर जयंती से अपना दल पार्टी ने अपनी सदस्यता अभियान शुरू करके सियासी संदेश देने का दांव चला था। इस तरह से अपना दल (एस) की सियासी रणनीति को समझा जा सकता है?

2 जुलाई को ताकत का प्रदर्शन

पार्टी के संस्थापक डॉ. सोनेलाल पटेल की जयंती पर लखनऊ में एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा। यह कार्यक्रम 2027 के मिशन का आगाज माने जा रहा है। इसमें पार्टी अपनी ताकत, नए समीकरण और रणनीति का संदेश कार्यकर्ताओं और जनता को देने वाली है।2026 में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए अनुप्रिया पटेल ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि पार्टी अकेले मैदान में उतरेगी। यह कदम पार्टी की जमीनी पकड़ और ताकत को परखने के लिए उठाया गया है। यही पंचायत चुनाव, 2027 की रणनीति का ट्रायल रन माने जा रहे हैं।

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