कवि दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां तो आप सबने जरूर सुनी होंगी- ’कौन कहता है, आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।’ अगर हम ये कहें कि ये पंक्तियां आकाशदीप के करियर पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं तो कुछ गलत नहीं होगा। इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच में मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने 27 साल के बाएं हाथ के गेंदबाज को डेब्यू कैप सौंपी और सभी खिलाड़ियों ने उनका स्वागत किया। रांची टेस्ट में इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। वहीं भारत की प्लेइंग-11 में एक बदलाव हुआ। जिसमें कप्तान रोहित ने जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी में आकाश दीप को टेस्ट डेब्यू कराया।
तीन साल क्रिकेट से दूर रहे आकाश
टेनिस गेंद से आकाश दीप ने अपने करियर की शुरुआत की थी। आकाश को क्रिकेट खेलने का जुनून था, लेकिन उनके पिता उनका सपोर्ट नहीं करते थे। उनके पिता हमेशा चाहते थे कि वह सरकारी नौकरी करें। लेकिन आकाश पर तो क्रिकेट का भूत सवार था। वह नौकरी ढूंढने के बहाने दुर्गापुर आ गए जहां उन्हें अपने चाचा का सपोर्ट मिला। जिससे आकाश वहां की स्थानीय एकेडमी में गए, जहां उन्हें अपनी पेस के लिए प्रसिद्धि मिलनी शुरू ही हुई थी कि तभी उन्हें एक दुखद समाचार मिला। उनके पिता की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। इसके दो महीने बाद आकाश के बड़े भाई का भी निधन हो गया। जिससे आकाश बुरी तरह टूट गए और मां की जिम्मेदारी भी आकाश के कंधों पर आ गई। इसके चलते आकाश तीन साल तक क्रिकेट से दूर रहे, लेकिन अपने सपने को आकाश भूले नहीं ।
एक बार फिर से कोलकाता से की नई शुरूआत
तीन साल बाद आकाश फिर दुर्गापुर लौटे जहां से आकाश कोलकाता आ गए। कोलकाता में एक छोटा सा किराए का कमरा लेकर अपने चचेरे भाई के साथ रहने लगे। जिसके बाद उनका क्रिकेट से एक बार फिर नाता जुड़ गया। शुरूआत में आकाश को बंगाल की अंडर-23 टीम में खेलने का मौका मिला। जिसके बाद दिसंबर 2019 में आकाश ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डेब्यू किया और फिर साल 2022 में उनको IPL में खेलने का मौका मिला। आकाश रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेले औऱ 2023 में भी उन्हें आरसीबी से खेलने का मौका मिला। हालांकि दो सीजन में उन्हें केवल सात मैच ही खेलने का मौका मिला। जिसके बाद उनकी किस्मत का सितारा चमका और उन्हें रांची टेस्ट में खेलने का मौका मिला। आपको बता दें कि 27 साल के आकाश दीप ने अपने फर्स्ट क्लास करियर में 30 मैच खेलते हुए कुल 104 विकेट लिए। इस दौरान उनका औसत 23 का है।