स्वप्निल कुसाले ने ओलंपिक 2024 में भारत को तीसरा मेडल जीताया है। जिसके बाद भारतीय दल के खाते में कुल 3 मेडल हो गए हैं। ये तीनों ही मेडल निशानेबाजी से भारत के हाथ लगे हैं। ये पहली है जब निशानेबाजी में किसी ओलंपिक में तीन मेडल भारत ने जीते हैं। आपको याद दिला दें, मनु भाकर ने ओलंपिक 2024 में देश को पहला मेडल जीताया था। इसके बाद मनु भाकर ने सरबजोत सिंह के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता। तीसरा मेडल जितने वाले स्वप्निल कुसाले पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अपने आदर्श के रुप में देखते हैं।
कौन हैं स्वप्निल कुसाले?
निशानेबाज स्वप्निल कुसाले का जन्म 6 अगस्त 1995 में एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी शूटिंग के उपलब्धियों को क्रेडिट उनके पिता को जाता है, क्योंकि स्वप्निल के शूटिंग करियर की शुरुआत तब हुई, जब साल 2009 में उनके पिता ने उन्हें महाराष्ट्र के प्राइमरी खेल प्रोग्राम क्रीड़ा प्रबोधिनी में एडमिशन दिलाया था। अब पेरिस ओलिंपिक 2024 में स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर राइफल के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा है। वो 50 मीटर राइफल के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय निशानेबाज हैं।
जीत के बाद बोले ‘धड़कने तेज हो गई थीं’
स्वप्निल कुसाले साल 2015 में कुवैत में आयोजित हुई एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर राइफल प्रोन 3 इवेंट में गोल्ड मेडल जीत कर अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं। आपको बता दें, शूटर ने 59वें नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में स्वप्निल गगन नारंग और चेन सिंह जैसे उम्दा शूटर्स को हार का स्वाद चखा चुके हैं। जीत के बाद स्वप्निल ने कहा,
‘मुझे काफी खुशी हो रही है कि मैं देश के लिए मेडल जीता। फाइनल के दौरान काफी नर्वस था, धड़कने तेज हो गई थीं।’
धोनी को मानते हैं अपना आदर्श
निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने बताया कि उन्होंने महेद्र सिंह धोनी पर बनी फिल्म को कई बार देखा है। जिसे देख वो उम्मीद करते हैं कि वो भी कई बड़ी उपलब्धियां हासिल करें। निशानेबाज स्वप्निल कुसाले बोले-
मैं निशानेबाजी की दुनिया में किसी खास व्यक्ति को फॉलो नहीं करता। लेकिन एमएस धोनी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी मैं बहुत इज्जत करता हूं। मेरे खेल में भी उतना ही शांत और धैर्यवान रहना होता है, जितना वो मैदान पर रहते हैं। मैं उनकी कहानी से भी जुड़ाव महसूस करता हूं क्योंकि मैं भी उन्हीं की तरह टिकट कलेक्टर था।