Browsing: his father did not approve of his playing cricket.

कवि दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां तो आप सबने जरूर सुनी होंगी- ’कौन कहता है, आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से…