संगमनगरी प्रयागराज में 144 साल बाद लगे महाकुंभ का पहला शाही स्नान मकर संक्रांति पर हो रहा है। लाखों श्रद्धालु रात से ही मेला क्षेत्र में आने लगे थे। अल सुबह से ही संगम स्नान शुरू हो गया।सुबह 6.15 बजे से ही अखाड़ों का स्नान क्रमवार शुरू हो गया. साधु-संन्यासियों का रेला हर-हर महादेव, हर-हर गंगे का उद्घोष करते हुए संगम तट पर पहुंचा और स्नान किया। संतों के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु मार्ग के दोनों तरफ खड़े रहे। 12 किमी के दायरे में सभी घाटों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा है। अब तक श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा , श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा तथा श्री पंचाग्नि अखाड़ा ने अमृत स्नान किया है।
बता दें कि श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने सुबह 06:15 बजे पहला अमृत स्नान किया। हर हर गंगे के गगनभेदी उद्घोष के बीच नागा साधुओं ने मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती में अमृत की डुबकी लगाई। कुल तेरह अखाड़े शाही स्नान करेंगे. इससे पहले अखाड़ों में अमृत स्नान के लिए देर रात तक तैयारी चलती रही। बग्घियां, चांदी के हौद, महामण्डलेश्वरों के रथ देर रात तक फूलों से सजाये गए। सुबह 8.30 बजे तक लगभग एक करोड़ श्रद्धालुओं ने भी स्नान कर चुके हैं।
मकर संक्रांति पर इस बार कोई भद्रा नहीं है. सुबह से शाम तक शुभ रहेगा। महापुण्यकाल की अवधि सुबह 9:03 बजे से 10:50 बजे तक रहेगी, जो 1 घंटा 47 मिनट होगी। मकर संक्रांति सूर्य की स्थिति के आधार पर मनाया जाने वाला पर्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तरायण हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दौरान स्नान, दान, और तिल-गुड़ के सेवन से व्यक्ति पुण्य अर्जित करता है।