पूरे देश में ईद उल अजहा मतलब बकरीद के त्योहार की धूम मची हुई है। मुसलमानों का ये त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा। वहीं इस त्योहार को लेकर प्रशासन भी काफी सतर्क है। किसी को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो इसका खास ख्याल रखा जा रहा है। तो वहीं त्योहार को लेकर देश भर के मुसलमानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों से सार्वजनिक जगहों पर त्योहार ना मनाने की अपील की गई है।
सड़कों पर नमाज अदा ना करने की अपील
मुसलमानों के लिए ये एडवाइजरी उत्तर प्रदेश के लखनऊ ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली की तरफ से जारी की गई है। इसमें फिरंगी महली ने कानून के दायरे में रहकर कुर्बानी करने की अपील की है। फिरंगी महली ने कहा है कि उन्हीं जानवरों की कुर्बानी दी जाए, जिन पर कोई कानूनी पाबंदी नहीं है। कुर्बानी वाली जगह पर सफाई का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। खुली जगहों , सड़क, गलियों और पब्लिक प्लेस पर कुर्बानी ना हो। साथ ही मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने मुसलमानों से कुर्बानी की वीडियो फोटो सोशल मीडिया पर ना डालने की अपील की है। कुर्बानी के जानवरों का खून नालियों में ना बहाया जाए। जानवरों की गंदगी को भी सड़कों पर ना फेंका जाए। मुस्लिम समुदाय से सड़कों पर नमाज अदा ना करने की भी अपील की गई है।
बकरीद पर क्यों दी जाती है कुर्बानी ?
ईद उल फित्र के विपरीत बकरीद का त्योहार चांद दिखने के 10वें दिन मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर में 29 या 30 दिन होते हैं जो चांद दिखने पर निर्भर करते हैं। ईद उल जुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के 2 महीने 9 दिन बाद मनाई जाती है। इस बार ईद-उल-अजहा का त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा। इस्लामिक मान्यता है कि पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे। तभी अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दिया । वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी , जिसकी याद में ये पर्व मनाया जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी हैसियत के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं,जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत बैन नहीं किया गया है।