सरकार से बड़ा संगठन बयान देकर यूपी में सियासी हलचल मचाने वाले के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बयान अब इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा है। इस बयान के खिलाफ दाखिल पीआईएल पर हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित कर लिया है। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने उप मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर इसके संवैधानिक पक्ष पर याची के अधिवक्ता को सुना।
14 जुलाई को केशव मौर्या ने दिया था बयान
कोर्ट ने याची के वकील को सुनने के बाद न तो सरकार से इस मामले पर उनका पक्ष जानने के लिए उनसे कुछ पूछा और न ही डिप्टी सीएम को कोई नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि वह इस याचिका पर उपयुक्त आदेश देगी। याचिका को अधिवक्ता मंजेश कुमार यादव ने दाखिल किया है। याचिका के अनुसार 14 जुलाई को डिप्टी सीएम ने सरकार और संगठन पर बयान दिया था। जिसमें उन्होंने संगठन को सरकार से बड़ा बताया था। बाद में एक्स पर यही बात पोस्ट भी की।
डिप्टी सीएम की नियुक्ति पर भी उठे सवाल
याची ने कहा है कि केशव मौर्य का यह कहना कि सरकार से बड़ा संगठन होता है, उनके पद की गरिमा को कम करता है। साथ ही सरकार की पारदर्शिता पर संदेह उत्पन्न करता है। यह भी कहा कि भाजपा, राज्यपाल और चुनाव आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया या खंडन न करना इस मुद्दे को और जटिल बनाता है। याचिका में केशव मौर्य के आपराधिक इतिहास का भी जिक्र किया गया। कहा गया कि उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से पहले उन पर सात आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। इसलिए ऐसे आपराधिक रिकॉर्ड वाले किसी व्यक्ति को संवैधानिक पद पर नियुक्त करना गलत है।