लोकसभा चुनावों के पहले चरण के मतदान हो चुके हैं और अब सभी पार्टियां और उम्मीदवार दूसरे चरण को लेकर गर्मजोशी से तैयारियों में जुटे हुए हैं। वहीं इन सबके बीच एक पार्टी ऐसी है जो यह फैसला ही नहीं कर पा रही है कि किस सीट पर किस उम्मीदवार की मौजूदगी उन्हें जीत दिला सकती है। जी हां हम समाजवादी पार्टी की ही बात कर रहे हैं। सपा ने एक बार फिर कन्नौज लोकसभा सीट से उम्मीदवार बदल दिया है। अब कन्नौज लोकसभा सीट से अखिलेश यादव खुद चुनावी ताल ठोकेंगे। सपा ने दो दिन पहले ही कन्नौज सीट पर तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार घोषित किया था, लेकिन 48 घंटे में ही तेज प्रताप को हटाने की नौबत आ गई। देखा जाए तो सपा के लिए ये कोई नई बात नहीं है। सपा इससे पहले भी मेरठ, मुरादाबाद, मिश्रिख, बदायूं, बागपत, बिजनौर, सुल्तानपुर, गौतमबुद्ध नगर में पहले ही उम्मीदवार की अदला- बदली कर चुकी है। जबकि संभल में सपा को घोषित उम्मीदवार शफीकुर्ररहमान बर्क के निधन की वजह से उम्मीदवार बदलना पड़ा था पार्टी ने इस सीट से बर्क के पोते और कुंदरकी सीट से विधायक जियाउर्रहमान बर्क को टिकट दिया था।
लोकल नेताओं की नाराजगी बनी फेरबदल का कारण
इत्र नगरी की लोकसभा सीट से तेज प्रताप की जगह अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद चुनाव मैदान में उतरेंगे। वहीं सपा महासचिव और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने अखिलेश की उम्मीदवारी का ऐलान किया है। रामगोपाल यादव ने कहा कि अखिलेश यादव कन्नौज से ही चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश 25 अप्रैल की दोपहर कन्नौज सीट से नामांकन करेंगे। वहीं सपा ने कन्नौज सीट से अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव को टिकट दिया था। तेज प्रताप की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद से ही सपा की लोकल यूनिट इस फैसले के विरोध में उतर आई। कन्नौज के सपा नेताओं का एक डेलिगेशन पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने पहुंच गया। सपा नेताओं के डेलिगेशन ने अखिलेश को कार्यकर्ताओं की नाखुशी से अवगत कराया और यह मांग दोहराई कि इस बार के चुनाव में वह खुद उतरें। लोकल लेवल पर सपा के कार्यकर्ता तेज प्रताप की उम्मीदवारी पर नाखुशी जताते हुए यह भी तर्क दे रहे थे बड़ी आबादी ने तेज का नाम तक नहीं सुना है। लोकल नेता किसी भी सूरत में पार्टी की स्थिति कन्नौज से कमजोर होने देने का मौका नहीं चाहते। इसीलिए तेज प्रताप को हटाने की नौबत आई.
क्या है कन्नौज लोकसभा सीट का जातीय गणित?
वहीं कन्नौज लोकसभा सीट के जातीय-सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यह सीट यादव-मुस्लिम बाहुल्य सीट है और यहां के समीकरण सपा के लिए काफी मुफीद रहे हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल करीब 18 लाख मतदाता हैं जिनमें 10 लाख पुरुष और 8 लाख महिलाएं शामिल हैं. कन्नौज में करीब 16 फीसदी मुस्लिम, करीब-करीब इतने ही यादव और 15 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं. करीब 10 फीसदी राजपूत और 39 फीसदी अन्य जाति-वर्ग के मतदाता हैं जिसमें बड़ा हिस्सा दलित वोटर्स का है.