राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हिंदू शिव मंदिर होने का दावा अब किया गया है। दावे का वाद बुधवार को न्यायालय ने स्वीकार करते हुए पक्षकारों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। दिल्ली के रहने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष वादी विष्णु गुप्ता ने साक्ष्यों के आधार पर अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा पेश किया था।
याचिकाकर्ता ने एक पुस्तक का दिया हवाला
इस मामले में न्यायालय ने वाद को स्वीकार करते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामलात व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण धरोहर को नोटिस जारी करने के आदेश जारी करने का फैसला दिया है। विष्णु गुप्ता की ओर से हरदयाल शारदा की ओर से लिखी पुस्तक का हवाला देते हुए वाद प्रस्तुत किया गया था। जिसमें उन्होंने अजमेर की दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया है। अब अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को की जाएगी।
सांसद राम गोपाल बोले- देश में आग लगवना चाह रहे जज
वहीं, अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव नाराजगी जताई है। राम गोपाल ने मामले में जजों के फैसले पर सवाल उठाया है। कोर्ट द्वारा मामले पर सुनवाई पर राम गोपाल ने कहा कि छोटे-छोटे जज देश में आग लगवाना चाहते हैं। राम गोपाल ने कहा कि पूरी दुनिया से लोग अजमेर शरीफ आते हैं और प्रधानमंत्री भी चादर चढ़ाते हैं। सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा समर्थित लोग कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने संभल घटना में प्रशासन सौ फीसदी दोषी है। जिस दिन निष्पक्ष जांच होगी, कई वरिष्ठ अधिकारी जेल जाएंगे।
ओवैसी भी भड़के, कहा-कानून और संविधान का उल्लंघन
वहीं, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं. उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह. कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गये, लेकिन ख़्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है। उन्होंने कहा कि 1991 का इबादतगाह कानून साफ तौर पर यह कहता है कि किसी भी इबादतगाह की मजहबी पहचान को नहीं बदला जा सकताष हिंदुत्व तंजीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है और पीएम मोदी चुप हैं।