अब भारत का कानून अंधा नहीं रहा है. कानून की देवी की आंखों से पट्टी हट गई है. दरअसल सर्वोच्च न्यायालय में न्याय की देवी की एक नई मूर्ति लगाई गई है. जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई इस मूर्ति की खासियत ये है कि इस नई मूर्ति की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है. परंपरागत मूर्ति की तरह इसके एक हाथ में तराजू तो है पर दूसरे हाथ में तलवार की जगह भारत का संविधान है.
न्याय की देवी अब नहीं रहीं अंधी
देखा जाए तो सांकेतिक तौर पर कुछ महीने पहले लगाई गई न्याय की देवी की नई मूर्ति साफ संदेश दे रही है कि न्याय अब अंधा नहीं रहा है. यह अब संविधान के आधार पर काम करता है. ऐसा बताया जा रहा है कि ये मूर्ति चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पहल पर लगाई गई है. हालांकि फिलहाल अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि ऐसी और मूर्तियां लगाई जाएंगी या नहीं. बता दें कि न्याय का प्रतिनिधित्व करने वाली अदालतों में रखी गई मूर्ति को ‘लेडी जस्टिस’ के नाम से जाना जाता है. हिंदुस्तान में न्याय की देवी की अब तक जो मूर्ति इस्तेमाल की जाती थी उसमें आंखों पर काले रंग की पट्टी बंधी नजर आती थी, जबकि एक हाथ में तराजू तो दूसरे हाथ में तलवार होती थी.
न्याय की देवी की नई मूर्ति में क्या कुछ खास है?
पुरानी मूर्ति की तरह ही नई मूर्ति भी पूरी सफेद रंग की है. इस नई प्रतिमा में न्याय की देवी को भारतीय वेषभूषा में दर्शाया गया है. न्याय की देवी साड़ी में नजर आ रही हैं. सिर पर सुंदर सा मुकुट भी सुषोभित है. माथे पर बिंदी, कान और गले में पारंपरिक आभूषण भी नजर आ रहे हैं. इसके अलावा इस मूर्ति की एक खास बात ये भी है कि न्याय की देवी के एक हाथ में तराजू है तो वहीं दूसरे हाथ में संविधान पकड़े देखा जा सकता है.