भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने न्यायपालिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है। SC कॉलेजियम ने जजों के रिश्तेदारों को न्यायिक पदों पर नियुक्ति से रोकने के लिए नई नीतियों और दिशानिर्देशों पर विचार किया है।
यह फैसला न्यायपालिका में संभावित भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव को खत्म करने के उद्देश्य से लिया गया है। भारतीय न्यायपालिका में जजों के रिश्तेदारों की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। इसको लेकर मौजूदा समस्या क्या हैं, आइए इसके बारे में जानते हैं।
भाई-भतीजावाद के आरोप
कुछ मामलों में देखा गया है कि जजों के करीबी रिश्तेदारों को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक पदों पर नियुक्त किया गया है। इससे पारदर्शिता और योग्यता पर सवाल खड़े होते हैं।
हितों का टकराव
जजों के रिश्तेदारों के केसों में निर्णय लेने में निष्पक्षता को लेकर शंकाएं पैदा होती हैं। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और भरोसे को प्रभावित कर सकता है।
जनता का भरोसा
न्यायपालिका पर जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए निष्पक्षता का दिखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उसका होना।
SC कॉलेजियम क्या बदलाव कर सकता है?
नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता
जजों के रिश्तेदारों की नियुक्ति के लिए विशेष दिशानिर्देश बनाए जाएंगे। किसी भी जज के करीबी रिश्तेदार की नियुक्ति से पहले सख्त जांच और स्क्रीनिंग की जाएगी।
भाई-भतीजावाद रोकने के उपाय
कॉलेजियम यह सुनिश्चित करेगा कि नियुक्ति केवल योग्यता और अनुभव के आधार पर हो। रिश्तेदारी के आधार पर किसी भी प्रकार का पक्षपात रोकने के लिए सख्त प्रावधान लागू किए जाएंगे।
जजों के रिश्तेदारों पर पाबंदी
कॉलेजियम प्रस्ताव कर सकता है कि जजों के सीधे रिश्तेदार (जैसे बच्चे, भाई-बहन) को न्यायपालिका में उच्च पदों पर नियुक्त न किया जाए। इससे हितों के टकराव और भाई-भतीजावाद के आरोपों को समाप्त करने में मदद मिलेगी।
केस अलॉटमेंट में निष्पक्षता
यदि किसी जज के रिश्तेदार पहले से न्यायिक पद पर हैं, तो उनके मामलों को उसी कोर्ट में न सुना जाए।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों ने SC कॉलेजियम के इस कदम की सराहना की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव न्यायपालिका की साख और जनता के भरोसे को मजबूत करेगा। इससे न्यायपालिका में भाई-भतीजावाद और संभावित भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिलेगी। वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस नीति को लागू करना आसान नहीं होगा, क्योंकि इसमें कई संवेदनशील मुद्दे शामिल हैं।
न्यायपालिका में सुधार की दिशा में बड़ा कदम
SC कॉलेजियम का यह कदम भारतीय न्यायपालिका में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता बढ़ेगी साथ ही जनता का भरोसा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी।