राज्यसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के चलते बुधवार को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई. विपक्षी सदस्यों का ये हंगामा संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर पर गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कथित तौर पर की गई एक टिप्पणी के बाद शुरू हुआ है. इतना ही नहीं विपक्ष ने आरोप लगाया है कि गृह मंत्री शाह ने संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया है और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. हालांकि बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि गृह मंत्री ने बाबा साहेब के लिए श्रद्धा जाहिर की है और सम्मान व्यक्त किया है. जबकि कांग्रेस ने बाबा साहेब का अपमान किया है. बता दें कि भाजपा ने आंबेडकर के नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा देने से लेकर उनके 1952 के चुनाव में साजिशन हरवाए जाने का मुद्दा उठाया था.
अमित शाह ने बाबा साहेब को लेकर ये की टिप्पणी
राज्यसभा में मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से की गई एक टिप्पणी पर बुधवार को कांग्रेस ने जोरदार हंगामा किया. मंगलवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अब आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर कहने का फैशन हो गया है. अगर उन्होंने इतनी बार भगवान का नाम लिया होता तो उन्हें स्वर्ग में जगह मिल जाती. शाह ने ये भी कहा था कि बाबासाहेब ने नेहरू कैबिनेट से इस वजह से इस्तीफा दिया था, क्योंकि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा था और वे इससे असंतुष्ट थे.
पीएम ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर की ये पोस्ट
पीएम ने एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘अगर कांग्रेस और उसका बेकार हो चुका तंत्र सोचता है कि उनके दुर्भावनापूर्ण झूठ उनके कई सालों के कुकर्मों खासकर डॉ. आंबेडकर के प्रति उनके अपमान को छिपा सकते हैं.तो वे बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं. भारत के लोगों ने बार-बार देखा है कि कैसे एक वंश के नेतृत्व वाली एक पार्टी ने डॉ. आंबेडकर की विरासत को मिटाने और एससी-एसटी समुदायों को अपमानित करने के लिए हर संभव गंदी चाल चली है.’
डॉ. आंबेडकर के नेहरू कैबिनेट से इस्तीफे की ये थी वजह
बताया जाता है कि संसद में हिंदू कोड बिल के जबरदस्त विरोध और चुनाव को देखते हुए पंडित नेहरू ने इस बिल को पारित करवाने की कोशिशों पर विराम लगा दिया था. इतना ही नहीं जब इस विधेयक के एक अन्य हिस्से को अलग से पारित कराने की कोशिश की गई तो उसमें भी सरकार को असफलता का सामना करना पड़ा. इस बात से नाराज होकर डॉ. आंबेडकर ने 27 सितंबर 1951 को पंडित नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
कांग्रेस ने ऐसे दो बार बाबा साहेब को हराया
नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद बाबासाहेब ने अपनी पार्टी खड़ी की और 35 उम्मीदवार उतारे. हालांकि इनमें जीत सिर्फ दो को ही हासिल हुई. खुद डॉ. आंबेडकर को उत्तरी बॉम्बे सीट से कांग्रेस प्रत्याशी से हार खानी पड़ी. उत्तरी बॉम्बे सीट से हारने का आंबेडकर को गहरा दुख हुआ क्योंकि महाराष्ट्र उनकी कर्मभूमि थी. जिस पर कांग्रेस ने कहा कि आंबेडकर सोशल पार्टी का साथ दे रहे थे. इसलिए उनका विरोध करने के अलावा पार्टी के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था. बात यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि कांग्रेस ने 1954 में बंडारा लोकसभा के उपचुनाव में भी आबंडेकर को एक बार फिर हराया था.