आज के जमाने में भी ना जाने कितने लोग ऐसे है. जो खुद के साथ बड़ी से बड़ी घटना होने पर भी पुलिस की मदद नहीं लेते. यहां तक कि किसी बड़ी घटना का चश्मदीद गवाह होने के बाद भी गवाही देने से कतराते हैं. आप कहेंगे ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए है क्योंकि आज भी लोग सोचते हैं कि कहीं किसी का भला करने पहुंचे और पुलिस ने उन्हें ही पकड़ लिया तो क्या होगा. इससे अच्छा दूर ही रहो. दरअसल तमिलनाडु के चेन्नई में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जहां एक महिला पुलिस के पास छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कराने थाने गई थी. महिला का कहना था कि ऑटोरिक्शा वाले उसके साथ छेड़छाड़ कर रहे थे लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की. पुलिस ने उल्टा उसे ही वेश्यावृत्ति के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. यह मामला सामने आने के बाद तमिलनाडु राज्य महिला आयोग ने कार्रवाई की सिफारिश की है. आयोग ने दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की मांग की है.
राज्य महिला आयोग ने पुलिस कमिश्नर तमबरम को लिखा पत्र
मिली जानकारी के अनुसार तमिलनाडु राज्य महिला आयोग ने पुलिस कमिश्नर तमबरम को एक पत्र लिखा है. पुलिस कमिश्नर तमबरम को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि उतिरामेरूर की रहने वाली एक महिला ने आयोग से शिकायत कर बताया कि उसने 9 अगस्त 2023 को तमबरम पुलिस स्टेशन में फोन कर छेड़छाड़ की शिकायत की गई थी. अगले दिन 10 अगस्त 2023 को वह खुद पुलिस स्टेशन गईं. महिला ने आयोग को बताया कि थाने में पुलिस ने उसका केस दर्ज नहीं किया. पुलिस ने उसका फोटो मोबाइल से खींच लिया. जब विरोध किया तो एक पुलिस अधिकारी ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. विरोध करने पर सब-इंस्पेक्टर ने झूठे आरोप में गिरफ्तार करने की धमकी दी. इसके बाद झूठे आरोप में अरेस्ट कर लिया गया और पांच महीने तक न्यायिक हिरासत में रखा गया.
मामले में राज्य महिला आयोग ने सख्त कार्रवाई की मांग की
मामले को लेकर महिला ने आयोग से कहा कि पुलिस ने उसके खिलाफ वेश्यावृत्ति के आरोपों के तहत केस दर्ज किया था. इस मामले में राज्य महिला आयोग ने हस्तक्षेप करते हुए पाया कि महिला की गिरफ्तारी के दौरान जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. राज्य महिला आयोग ने इंस्पेक्टर चार्ल्स और सब-इंस्पेक्टर दुर्गा के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश की है. इसी के साथ आयोग ने महिला को मुआवजा देने की भी अनुशंसा की है. इस पूरे मामले में राज्य महिला आयोग ने सख्त कार्रवाई की मांग की है.