New Delhi: नोएडा विकास प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने यादव सिंह को भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में अग्रिम जमानत की मंजूरी दे दी है। जस्टिस हृषिकेश रॉय की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा जमानत दिए जाने से सीबीआई द्वारा नई गिरफ्तारी से यादव सिंह बच गए हैं।
बसपा सरकार में बढ़ गया था कद, मिली थी स्पेशल छूट
बता दें कि आगरा के एक गरीब दलित परिवार में जन्मे यादव सिंह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमाधारी करने के बाद 1980 में जूनियर इंजीनियर के तौर पर नोएडा विकास प्राधिकरण में नौकरी शुरू की थी। करीब 15 साल बाद जब 1995 में प्रदेश में पहली बार बसपा सरकार आई तो 19 इंजीनियरों के प्रमोशन को दरकिनार कर सहायक प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर तैनात यादव सिंह को प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर प्रमोशन दे दिया गया था। इसके साथ ही यादव सिंह को डिग्री हासिल करने के लिए तीन साल का समय भी दिया गया था।
सीएमई रहते कई कंपनियां शुरू की
इसके बाद 2002 में यादव सिंह को चीफ मेंटिनेंस इंजीनियर (सीएमई) के पद पर प्रमोट हो गए। इस पद पर यादव नौ साल तक तैनात रहे। इस वक्त तक अथॉरिटी में सीएमई के तीन पद थे, जिससे यादव सिंह संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने कई पद खत्म कराकर खुद को इंजीनियरिंग इन चीफ का पद बनवा लिया था। यादव सिंह नौकरी के साथ ही बेनामी कंपनियों का जाल बुनते गए। सौ रुपए से शुरू होने वाली ये कंपनियां कुछ ही साल में करोड़ों का कारोबार करने लगीं थी। यादव सिंह की ज्यादातर कंपनियों का मालिकाना हक उनकी पत्नी कुसुमलता, बेटे सनी और बेटियों करुणा और गरिमा के पास है।