दुनियाभर में आयुर्वेद को भारत का तोहफा माना जाता है। आयुर्वेद का जिक्र भी सैकड़ों साल पहले से मिलता आ रहा है। आयुर्वेद का मतलब ‘जीवन का विज्ञान’ होता है जो न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी समर्पित है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस भी मनाया जाता है।
धनतेरस के दिन क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
आयुर्वेद न केवल रोगों के उपचार पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने का तरीका भी सिखाता है। हर साल धनतेरस वाले दिन आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है। साल 2016 में भारत सरकार मंत्रालय ने भगवान धन्वंतरिकी जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाए जाने को घोषणा की थी। पहला आयुर्वेद दिवस 28 अक्टूबर 2016 को था, जिसके बाद से हर साल एक नई थीम के साथ इस खास को मनाया जाता है।
क्या है साल 2024 की थीम
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस जोकि इस साल 29 अक्टूबर यानी की आज है, वो 9वां आयुर्वेद दिवस है। हर साल इसके अलग-अलग थीम के साथ मनाया जाता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस बार वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार पर आधारित थीम पर मनाया जा रहा है। इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे कि कॉलेज, अस्पताल और शिक्षण संस्थान फ्री स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद को बढ़ावा देना है।
कौन हैं भगवान धन्वंतरिकी
धन्वंतरि की उत्पत्ति को लेकर मान्यता है कि उनकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी। वो हाथ में अमृत कलश लेकर समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुए थे। तब समुद्र से धन्वंतरि ही अमृत का कलश लेकर बाहर निकले थे। इन्हें आयुर्वेद का प्रणेता और देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता था, इसलिए ही धन्वंतरि को आरोग्यता प्रदान करने वाला देवता माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस वाले दिन धन्वंतरि की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
क्यों होती है धनतेरस के दिन धन्वंतरि की पूजा
पौराणिक कथाओं की मानें तो जब धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर बाहर निकले थे उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी थी। इसलिए ही धनतेरस के दिन इनकी पूजा की जाती है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, जोकि इस बार 29 अक्टूबर यानी आज है।