दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. प्रदूषण की बढ़ती समस्या का सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए आदेश दिया है कि प्रदूषण को देखते हुए अदालतें हाइब्रिड मोड पर काम करें. इस दौरान कोर्ट ने प्रदूषण पर गंभीर चिंता जाहिर की है. वहीं इस मामले पर कोर्ट की सुनवाई शुरू होते ही बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने मांग की कि वह प्रदूषण के मद्देनजर कोई निर्णय लें. सिब्बल की इस मांग पर कोर्ट ने कहा कि वकील कोर्ट में पेश होने को फिजिकल या वर्चुअल उपस्थिति का विकल्प चुन सकते हैं और सभी अदालतों की सुनवाई को हाइब्रिड मोड में चलाने का निर्देश दिया. सीजेआई द्वारा ये भी आश्वासन दिया गया है कि किसी भी वकील की अनुपस्थिति के कारण कोई भी मामला खारिज नहीं होगा. वकील अगर वर्चुअल मोड में पेश होते हैं, तो ये स्वीकार किया जाएगा.
वकीलों को वर्चुअल तरीके से पेश होने की मंजूरी
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रदूषण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ये स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है. इस पर सीजेआई ने कहा कि कोर्ट की ओर से वकीलों को वर्चुअल तरीके से पेश होने की मंजूरी दी जा रही है. सिब्बल ने कहा कि यह आदेश अन्य अदालतों तक भी पहुंचाया जाना चाहिए, जिससे वाहन भी कम चलेंगे और प्रदूषण घटेगा. सीजेआई ने वकीलों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि हम सभी को एक साथ काम करने का संदेश दे रहे हैं. हालांकि सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा अदालतों को पूरी तरह से वर्चुअल मोड में चलाने की अर्जी को अस्वीकार कर दिया है. सीजेआई ने कहा कि अदालतें हाइब्रिड मोड पर ही काम करेंगी.
राज्य सरकारों को ग्रैप-4 का सख्ती से पालन का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर राज्य सरकारों को ग्रैप-4 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनसीआर राज्यों को ग्रैप-4 के तहत आवश्यक निगरानी कार्यों के लिए तत्काल टीमों का गठन करने का भी निर्देश जारी किया है. साथ ही जब तक हालात पूरी तरह से सामान्य नहीं होते, तब तक स्कूलों को बंद करने का भी निर्देश दिया गया है.