अब योगी सरकार ने ‘मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान’ को लागू करने का ऐलान कर दिया है. मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. मंगलवार को जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि यह योजना प्रदेश के अर्थव्यवस्था में MSMEs सेक्टर के महत्वपूर्ण योगदान को ध्यान में रखते हुए इस स्कीम को शुरू किया गया है. इस स्कीम का सरकार द्वारा उद्देश्य राज्य के युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है. वहीं मंत्रिमंडल की इस बैठक में कुल 25 प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई है.
1 लाख युवाओं को दी जाएगी आर्थिक मदद
वहीं सरकार की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि इस अभियान के तहत एक लाख शिक्षित और प्रशिक्षित युवाओं को आर्थिक सहायता दी जाएगी. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग मंत्री राकेश सचान ने बताया कि आगामी 10 सालों में इस योजना से 10 लाख सूक्ष्म इकाइयों की स्थापना की जाएगी. इसके साथ ही इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार पैदा करना और राज्य के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ना है. योजना के तहत आवेदक की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता आठवीं पास होनी चाहिए. हालांकि इंटरमीडिएट पासआउट आवेदकों को प्राथमिकता दी जाएगी.
5 लाख रुपये का युवाओं को मिलेगा ब्याज मुक्तलोन
‘मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान’ में 1 लाख युवाओं को हर साल 5 लाख रुपये (बिना ब्याज) तक सूक्ष्म इकाइयों हेतु लोन देकर रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए आवेदक की शैक्षिक योग्यता 8वीं से 12वीं तक निर्धारित की गई है. सचान ने बताया कि इसके अलावा आवेदक को विभिन्न सरकारी योजनाओं, जैसे विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक जिला एक उत्पाद योजना, अनुसूचित जाति/जनजाति प्रशिक्षण योजनाओं और उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन द्वारा संचालित कौशल उन्नयन कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित होना अनिवार्य होगा.
सरकार 5 लाख के लोन पर सब्सिडी भी देगी
मंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत सूक्ष्म उद्यमों और सेवा क्षेत्र में पांच लाख रुपये तक की परियोजनाओं के लिए लोन पर सब्सिडी भी दी जाएगी. इस योजना के तहत पहली बार लाभ पाने वाले युवा दूसरे चरण के लिए भी पात्र माने जाएंगे. इन युवाओं के अधिकतम 10 लाख रुपये तक की परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी. इस योजना में डिजिटल लेनदेन को भी बढ़ावा दिया जाएगा. जिसके तहत प्रति लेनदेन एक रुपये और अधिकतम 2000 रुपये प्रति वर्ष का अतिरिक्त अनुदान भी मिलेगा.