Holi Special: भद्रा में होलिका दहन करना शुभ या अशुभ? क्या हो सकते हैं इसके प्रभाव ?

- Rishabh Chhabra
- 12 Mar, 2025
होली से एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। लेकिन होलिका दहन से पहले शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक होता है, खासकर भद्रा काल में होलिका दहन को अशुभ माना जाता है। इस साल 13 मार्च 2025 को होलिका दहन होना है, लेकिन इस दिन भद्रा का प्रभाव भी रहेगा। आइए जानते हैं कि भद्रा में होलिका दहन करना क्यों अशुभ होता है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
भद्रा काल में होलिका दहन क्यों अशुभ माना जाता है?
हिंदू ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि भद्रा काल में किए गए कार्यों से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिससे दुर्भाग्य और अशुभ फल मिलते हैं। विशेष रूप से होलिका दहन जैसे शुभ कार्य भद्रा में करने से परिवार और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भद्रा देवी शनि देव की बहन हैं, जिनका स्वभाव क्रोधी और उग्र माना जाता है। जब भद्रा का साया किसी शुभ कार्य पर पड़ता है, तो वह कार्य बाधाओं और समस्याओं से घिर जाता है। इसी कारण भद्रा काल में होलिका दहन करने की मनाही होती है।
भद्रा में होलिका दहन करने से क्या होता है?
अगर कोई भद्रा काल में होलिका दहन करता है, तो उसे कई प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे परिवार और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ज्योतिषियों के अनुसार, भद्रा काल में होलिका दहन करने से निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं:
परिवार में कलह और अशांति – भद्रा के समय होलिका दहन करने से घर में झगड़े और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
बीमारियों का खतरा – इस अशुभ समय में होलिका दहन करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
आर्थिक नुकसान – व्यापार और नौकरी में नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
विरोध और विवाद – समाज में मतभेद और झगड़ों की संभावना बढ़ सकती है।
भद्रा काल में होलिका दहन करने से बचने के उपाय
यदि किसी कारणवश भद्रा काल में होलिका दहन करना आवश्यक हो, तो कुछ विशेष उपाय अपनाए जा सकते हैं:
भद्रा मुख और पृष्ठ को ध्यान में रखें – यदि भद्रा का मुख पृथ्वी लोक पर हो, तो उस समय होलिका दहन बिल्कुल न करें।
शास्त्रों के अनुसार पूजा करें – भद्रा में दहन करने से पहले भगवान विष्णु और प्रह्लाद की पूजा करें।
संकल्प लें – भद्रा में होलिका दहन करने से पहले ब्राह्मणों से विशेष पूजा करवाएं और नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए हवन करें।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2025
पंचांग के अनुसार, भद्रा काल 13 मार्च को सुबह 10:02 बजे से रात 10:37 बजे तक रहेगा। इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को रात 10:37 बजे के बाद से 14 मार्च के सूर्योदय तक किया जाना शुभ रहेगा।
होलिका दहन 2025 का समय:
भद्रा काल शुरू – 13 मार्च, सुबह 10:02 बजे
भद्रा काल समाप्त – 13 मार्च, रात 10:37 बजे
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त – 13 मार्च, रात 10:37 बजे से 14 मार्च सूर्योदय पूर्व तक
भद्रा काल में होलिका दहन को अशुभ माना जाता है क्योंकि यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार, भद्रा समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना शुभ और लाभकारी होता है। इसलिए, इस वर्ष 13 मार्च 2025 को रात 10:37 बजे के बाद होलिका दहन करना सबसे उचित रहेगा।
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