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Religion: क्या है गरुण पुराण का पूरा सच? मरने के बाद आत्माएं कैसे करती है सफर! रहस्य जान कर रह जाएंगे दंग

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यह सवाल हम सभी के मन में कभी न कभी जरूर उठता है। हिन्दू धर्म में आत्मा को अमर माना गया है और शरीर को एक अस्थायी वस्त्र। गरुड़ पुराण, जो भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ के बीच संवाद पर आधारित है, इस रहस्य पर गहराई से प्रकाश डालता है। इसमें मृत्यु के बाद आत्मा की पूरी यात्रा का वर्णन किया गया है।

1. आत्मा का पहला कदम: शरीर से विदाई
   
जब इंसान की मृत्यु होती है, तब आत्मा शरीर से बाहर निकल जाती है। शरीर को अंतिम संस्कार के लिए शमशान ले जाया जाता है। लेकिन आत्मा की यात्रा तब शुरू होती है। यमदूत उसे लेने आते हैं। यदि व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए हैं, तो यमदूत शांत और सौम्य रूप में आते हैं। लेकिन यदि जीवन में पाप किए गए हों, तो यमदूत क्रोधित और भयानक रूप में आत्मा को पकड़ कर ले जाते हैं।

2. आत्मा का धरती पर 13 दिन का वास

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा को 24 घंटे के लिए यमदूत अपने साथ रखते हैं और फिर वापस धरती पर भेज देते हैं। यह आत्मा प्रेत रूप में अपने घर के आसपास 13 दिन तक रहती है। इस समय घरवाले पिंडदान और तर्पण करते हैं ताकि आत्मा को शांति मिले और उसका आगे का सफर आसान हो।

3. पिंडदान के बाद कठिन यात्रा की शुरुआत

13 दिन के बाद आत्मा की असली यात्रा शुरू होती है। उसे यमलोक की ओर ले जाया जाता है। इस यात्रा में आत्मा को 17 से 49 दिनों का समय लगता है और उसे 16 भयंकर नदियों को पार करना पड़ता है। पापी आत्माओं के लिए यह रास्ता बहुत कठिन होता है, जहां उन्हें भयावह प्राणी, तीव्र गर्मी, कांटों और यातनाओं का सामना करना पड़ता है। यदि परिवारजन सच्चे मन से दान-पुण्य और पूजा करते हैं, तो आत्मा को बल मिलता है।

4. यमराज के दरबार में अंतिम निर्णय

यात्रा के अंत में आत्मा यमराज के दरबार में पहुंचती है। यहां चित्रगुप्त नाम के देवता उसके संपूर्ण जीवन का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। यमराज आत्मा के कर्मों के आधार पर यह तय करते हैं कि उसे स्वर्ग मिलेगा या नरक।

5. स्वर्ग या नरक का निर्णय

यदि आत्मा ने जीवन में सच्चे और नेक काम किए हैं, तो उसे स्वर्ग भेजा जाता है, जहां उसे सुख, शांति और आनंद की प्राप्ति होती है। लेकिन यदि उसने बुरे कर्म किए हैं, तो आत्मा को नरक में भेजा जाता है। गरुड़ पुराण में 36 प्रकार के नरकों का उल्लेख है, जो विभिन्न पापों के आधार पर निर्धारित किए गए हैं। इनमें असहनीय यातनाएं दी जाती हैं, जो आत्मा को उसके पापों का फल देने के लिए होती हैं।

6. नया जन्म और कर्मों का चक्र

जब आत्मा अपने कर्मों का पूरा फल भोग लेती है, तब उसे पुनः धरती पर जन्म लेने का अवसर मिलता है। उसका अगला जन्म किस रूप में होगा, यह पूर्णतः इस बात पर निर्भर करता है कि उसने अपने पिछले जीवन में कौन-से कर्म किए थे। अच्छे कर्म अगले जीवन को सुखमय बनाते हैं, वहीं बुरे कर्म फिर से पीड़ा का कारण बनते हैं।

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु अंत नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत है। आत्मा का सफर उसके कर्मों से जुड़ा होता है और यमलोक की न्याय व्यवस्था हर आत्मा को उसके अनुसार फल देती है। यह ज्ञान हमें यही सिखाता है कि हमें अपने जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए ताकि आत्मा को शांति और मुक्तिमार्ग मिल सके।

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