आजकल एक नौकरी पाने के लिए युवा दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. मगर जब काफी मेहनत और मशक्कत के बाद नौकरी मिल जाती है तो उसमें भी आए दिन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. देखा जाए तो कोई भी प्राइवेट संस्था जो युवाओं को नौकरी पर रखती है. वो युवाओं को ऑफर लेटर, नौकरी छोड़ने पर एक्सपीरियंस लेटर देने के साथ ही जितने भी दिन कर्मचारी उनकी संस्था में काम करता है. तो हर महीने का ईपीएफओ में कंपनी द्वारा कर्मचारी के नाम से खाता खोलकर तय रकम जमा की जाती है और नौकरी छोड़ने पर उसकी जानकारी भी कर्मचारी को दी जाती है. मगर ग्रेटर नोएडा के धूम मानिकपुर की राणा मोटर्स के शोरूम पर एक समाजसेवी ने गंभीर आरोप लगाए हैं. बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब कंपनी पर आरोप लगाए गए हैं इससे पहले भी कंपनी पर बिना नोटिस कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के आरोप लगाए गए हैं.

समाजसेवी को नौकरी से निकालने का आरोप
समाजसेवी के अनुसार पिछले करीब 4 महीनों से राणा मोटर्स धूम मानिकपुर में एक कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहा था. कंपनी द्वारा जो भी कार्य उसे सौंपा जाता उसे वह समय पर पूरा करके दे देता था. मगर लगभग तीन दिन पहले कर्मचारी को नौकरी से रिजाइन करने के लिए कह दिया गया. इसका कारण पूछे जाने पर बताया गया कि ये फैसला कंपनी के जीएम ने लिया है. इसके साथ ही ये भी कहा गया कि महज दो दिन बाद उसे नौकरी पर वापस बुला लिया जाएगा. मगर जब तीन दिन बीत गए तो कर्मचारी को एहसास हुआ कि उसके साथ कंपनी ने अन्याय किया है.

कंपनी कर रही अपनी मनमानी
समाजसेवी ने राणा मोटर्स पर आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी में लगभग 60 -70 आदमी कार्यरत हैं. जिनका एजेंसी के पास व EPF के पास कोई रिकॉर्ड या दस्तावेज़ तक उपलब्ध नहीं है. जब कंपनी का मन होता है तो किसी भी कर्मचारी को रख लेते हैं और जब कोई कर्मचारी उनकी चापलूसी यह चुगलखोरी नहीं करता है, तो उसे बिना कोई लेटर दिए या नोटिस दिए निकाल दिया जाता है. इतनी ही नहीं कंपनी के पास जितनी भी गाड़ियां सर्विस के लिए आती है. उसमें प्रतिदिन लाखों लीटर पानी वेस्ट किया जाता है. जिसका कोई अपडेट सिस्टम भी नहीं है. इसके अलावा ये भी आरोप लगाया गया है कि कृषि ज़मीन पर वाणिज्यिक गतिविधि चल रही है. जिसका तहसील स्तर से कोई भी बदलाव नहीं किया गया है.

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