लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ी हुई है. तमाम नेता प्रचार-प्रसार में ताकत लगाए हुए है PM मोदी एक दिन यूपी में रैली करते है तो दूसरे दिन तमिलनाडु में वो रैली करते है, लेकिन क्या आप जानते है कि आजाद भारत में जब पहली बार चुनाव हुए थे तो खुद प्रधानमंत्री ने अपने हेलीकॉप्टर का किराया दिया था. ये शायद सुनकर यकीन न हो लेकिन ये बात सच है. एक किताब में ऐसा दावा किया गया है.

फ़्रॉम कर्ज़न टू नेहरू एंड आफ़्टर में जिक्र
दरअसल ये वो वक्त था जब दुनिया में कुछ बड़े नेताओं की हत्या कर दी गई थी. ऐसे में पंडित नेहरु की सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती थी. वैसे तो उस वक्त प्रधानमंत्री को इंडियन एयरफोर्स का हेलिकॉप्टर मिलता ही था लेकिन नेहरू नहीं चाहते थे कि वो चुनाव प्रचार में इसका इस्तेमाल करें, क्योंकि कई तरह के सवाल जनता पार्टी से उस वक्त जुड़े नेता खड़े करते थे. तब इसका भी एक रास्ता निकाला गया, फ़्रॉम कर्ज़न टू नेहरू एंड आफ़्टर नाम की किताब में ये बताया गया है कि सरकार ने तब इस मसले का हल निकालने के लिए एक कमेटी बनाई, जिसके बाद ये तय हुआ कि प्रधानमंत्री को सुरक्षा के मद्देनज़र सरकारी हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करने दिया जाएगा.

40 हजार किलोमीटर का किया था सफर
इसमें तय ये भी हुआ कि नेहरू अपना किराया देंगे, उनके साथ जो सुरक्षाकर्मी रहेंगे उनका खर्च सरकार वहन करेगी, क्योंकि वो प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे हैं. साथ ही अगर कोई कांग्रेस का नेता उस विमान में सफर करता है, तब भी उसको किराया देना होगा. इस तरह नहरू के चुनाव प्रचार का मसला हल हो गया. नेहरू ने अपना चुनाव प्रचार 1 अक्टूबर से शुरू कर दिया था, 25 अक्टूबर को पहला वोट पड़ा था. दावा किया जाता है कि 8-9 महीने के वक्त में ही नेहरू ने तब 40 हज़ार किमी तक का सफर कर लिया था, इसमें हवाई जहाज, गाड़ी, रेल और नाव तक के जरिए नेहरू प्रचार कर रहे थे.

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