आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में नाम रोशन कर रही हैं। वहीं सरकार हो या समाज उनके हक की बात तो सब करते हैं लेकिन असल में उन्हें हक देता कौन है। ये एक बड़ा सवाल है। वहीं सड़क से लेकर संसद तक सभी राजनीतिक दल महिलाओं के हक की बात करते हैं. मगर, इरादे उतने साफ दिखते नहीं जितनी तेज आवाजें उठती हैं. वैसे तो अभी महिला आरक्षण विधेयक या नारी शक्ति वंदन अधिनियम अभी लागू नहीं हुआ है. फिर भी इस चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या बताती है कि महिला हक की बात करने वाले नेता असल में इस मुद्दे पर कितने संजीदा हैं.

27 साल से लटके महिला आरक्षण विधेयक सितंबर 2023 में पारित
दरअसल संसद में करीब 27 साल से लटके महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को सितंबर 2023 में पारित किया गया था. इसने महिलाओं के लिए एक तिहाई विधायी सीटों के आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया. हालांकि, जनगणना और परिसीमन के बाद ही इसके लागू होने की संभावना है. मतलब, 2029 से पहले ये लागू नहीं होगा. AIMIM को छोड़कर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया था. कुछ ने इसे जल्द से जल्द लागू करने की बात भी कही. मगर, 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए जब पार्टियों द्वारा उम्मीदवार उतारने की बात आती है तो महिला उम्मीदवारों की संख्या काफी कम नजर आती है.

चुनाव आयोग के आंकड़े क्या कहते हैं
चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 के आम चुनावों में 8,054 उम्मीदवारों में से केवल 726 महिलाएं थीं. यानी सिर्फ 9 फीसदी टिकट ही महिलाओं को दिए गए. इनमें से करीब एक तिहाई महिला निर्दलीय चुनाव लड़ी थीं और उनको किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं था. 2014 में कुल 8,251 उम्मीदवारों में महिला उम्मीदवारों की संख्या सिर्फ 668 थी. भाजपा ने 417 संसदीय सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है. इनमें से 68 (16 प्रतिशत से कुछ अधिक) महिलाएं हैं. पार्टी ने 2009 में 45, 2014 में 38 और 2019 में 55 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था. वहीं, कांग्रेस ने अब तक जो सूची जारी की है, उसमें 247 उम्मीदवारों की घोषणा की है. इसमें 35 उम्मीदवार (14 प्रतिशत से कुछ अधिक) महिलाएं हैं. 2019 में कांग्रेस ने 54 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था.

पहले चरण में सिर्फ 8 फीसदी महिलाएं मैदान में
इस बार के लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे. पहला चरण 19 अप्रैल को है, जिसमें 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदान होगा. पहले चरण में कुल 1,625 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है, जिनमें 1,491 पुरुष और केवल 134 (8 प्रतिशत) महिलाएं हैं.जिसमें अरुणाचल प्रदेश में 14 (एक महिला), असम में 35 उम्मीदवार (4 महिलाएं), मध्य प्रदेश में 88 उम्मीदवार (7 महिलाएं), महाराष्ट्र में 97 उम्मीदवार (7 महिलाएं), मेघालय में 10 उम्मीदवार (2 महिलाएं), मिजोरम में 6 उम्मीदवार (एक महिला), पुडुचेरी में 26 उम्मीदवार (3 महिलाएं), राजस्थान में 114 उम्मीदवार (12 महिलाएं), सिक्किम में 14 उम्मीदवार (एक महिला), उत्तर प्रदेश में 80 उम्मीदवार (7 महिलाएं), उत्तराखंड में 55 उम्मीदवार (4 महिलाएं), बिहार 38 उम्मीदवार (3 महिलाएं), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 12 उम्मीदवार मैदान (2 महिलाएं), मिजोरम 6 उम्मीदवार, (1 महिला) और पश्चिम बंगाल में 37 उम्मीदवार (4 महिलाएं) मैदान में हैं.

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