Noida: पहले नोएडा, फिर ग्रेटर नोएडा, उसके बाद यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और अब न्यू नोएडा को बसाने के काम में तेजी लाई गई है। न्यू नोएडा नाम से बसने वाले शहर के लिए जमीन की सर्वे के काम में तेजी लाई गई है। नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने सिकंद्राबाद क्षेत्र में अधिकारियों के साथ प्रारंभिक सर्वे किया था। जिसके बाद से इस काम में अब तेजी लाई गई है। सीईओ के निरीक्षण के दौरान जोखाबाद गांव में एक अस्थायी कार्यालय के लिए भूमि का भी निरीक्षण किया गया था। यह कार्यालय भूमि अधिग्रहण और विकास कार्यों की निगरानी करेगा। सीईओ के आदेश के बाद भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया भी तेज करने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके लिए स्थानीय भूमि मालिकों, गांववासियों और ग्राम प्रधानों से बैठक कर सहमति ली जाएगी। न्यू नोएडा का विकास डीएनजीआईआर (डेडीकेटेड दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इन्वेस्टमेंट रीजन) (DNGIR) के तहत किया जाएगा।
चार चरणों में बसेगा “न्यू नोएडा”
इस नए क्षेत्र यानि न्यू नोएडा शहर में गौतम बुद्ध नगर जिले के लगभग 20 और बुलंदशहर के 60 गांवों की भूमि को शामिल किए जाने की तैयारी है। इस शहर का क्षेत्रफल उतना ही होगा लगभग जितने नोएडा का है। इस शहर का विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। अगर पहले चरण की बात करें तो पहला चरण 3 हजार 165 हेक्टेयर भूमि पर विकास होना है। इसका काम 2027 तक पूरा किया जाने की तैयारी है। दूसरे चरण में 2027 से 2032 के बीच 3 हजार 798 हेक्टेयर, इसके बाद 2037 तक 5 हजार 908 हेक्टेयर, और 2041 तक 8 हजार 230 हेक्टेयर भूमि विकसित की जाएगी।
पहला चरण (2023-27): 3165 हेक्टेयर जमीन का विकास।
दूसरा चरण (2027-32): 3798 हेक्टेयर जमीन का विकास।
तीसरा चरण (2032-37): 5908 हेक्टेयर जमीन विकसित होगी।
चौथा चरण (2037-41): शेष 8230 हेक्टेयर जमीन का विकास।
शहर का होगा सेटेलाइट सर्वे
नोएडा शहर की स्थापना 17 अप्रैल 1976 को हुई थी। इसके बाद यहां 2011 में सैटेलाइट सर्वे किया गया, लेकिन इससे आबादी का सही ढंग से निस्तारण करने में कई समस्याएं आईं। इसी को ध्यान में रखते हुए न्यू नोएडा के लिए एक बेहद आधुनिक और पारदर्शी योजना बनाई जा रही है, जिसमें सैटेलाइट इमेजिंग को आधार बनाकर विकास कार्य किए जाएंगे। यह योजना 209 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में 80 गांवों को शामिल करेगी और यहां की मौजूदा आबादी को मुआवजा देकर व्यवस्थित बसाने का काम किया जाएगा। न्यू नोएडा के निर्माण के लिए सबसे पहले सैटेलाइट इमेजिंग से मौजूदा संरचनाओं और जमीन का आंकलन किया जाएगा। नेशनल स्पेस इंस्टीट्यूट द्वारा सैटेलाइट इमेजिंग की जाएगी। हर किसान की जमीन और निर्माण की सटीक जानकारी डिजिटल रूप से दर्ज की जाएगी। इसी डेटा के आधार पर मुआवजे का निर्धारण होगा।
विवाद मुक्त बनेगा सबसे “हाईटेक” शहर
सेटेलाइट इमेजिंग का काम पारदर्शिता को सुनिश्चित करना और विवादों को कम करने में इसकी भूमिका अहम होगी। सेटेलाइट इमेज के जरिए जमीन का डेटा कलेक्ट किया जाएगा, उसी के आधार पर न्यू नोएडा शहर के विकास की नींव रखी जाएगी। सेटेलाइट इमेज के जरिए ये भी कंफर्म होगा कि किस किसान के पास कितनी जमीन और उस पर निर्माण है। इसी के आधार पर मुआवजे का भी वितरण किया जाएगा। सेटेलाइट इमेज के जरिए तैयार इमेज से ये भी सुनिश्चित किये जाने की तैयारी है कि कोई भी किसान अपने हक से वंचित ना रह जाए।
किसानों की सहमति के साथ बसेगा “न्यू नोएडा”
किसानों की जमीन खरीद में किसी तरह का गड़बड़झाला ना हो पाए, इसके लिए बकायदे सलाहकार कंपनियों की भी मदद ली जाएगी। भू-लेख अधिकारियों के साथ मिलकर किसानों को पहले जागरूक किया जाएगा। किसानों से उचित मुआवजे और सहमति के आधार पर जमीन को खरीदा जाएगा। इसके लिए ये भी लक्ष्य है कि किसानों का पहले विश्वास जीता जाए ताकि परियोजना को विवादों से मुक्त रखा जा सके। आपको बता दें नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जमीन खरीद का मामला अब तक विवादों में घिरा है। आए दिन किसान दोनों प्राधिकरण के बाहर धरने पर बैठे रहते हैं। इसी को देखते हुए न्यू नोएडा शहर को विवाद मुक्त रखने जाने की तैयारी की गई है। इसके लिए सटीक सेटेलाइट डेटा के आधार पर मास्टर प्लान की मंजूरी के बाद मुआवजा, व्यस्थित पुनर्वास और निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। न्यू नोएडा को नोएडा और ग्रेटर नोएडा से भी अपग्रेड शहर बनाने के तैयारी है, इसी को देखते हुए प्राधिकरण इसकी नींव की शुरुआत विवाद मुक्त रखना चाहती है।