Greater Noida: ग्रेटर नोएडा में सोमवार को बिजली विभाग के खिलाफ किसानों का धरना प्रदर्शन हो रहा है। इस प्रदर्शन की मुख्य वजह कुछ गांवों को यूपीसीएल से हटाकर एनपीसीएल में जोड़ा जाना निकलकर सामने आया है। धरने में शामिल किसानों का कहना है कि अगर गांवों को एनपीसीएल में जोड़ा जाता है, तो जन-आंदोलन होगा। क्या है पूरी बात, जानिए Now Noida की इस स्पेशल रिपोर्ट में…

बिजली विभाग के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

ग्रेटर नोएडा में बिजली विभाग के खिलाफ सोमवार को किसानों को धरना प्रदर्शन जारी है। किसान ये प्रदर्शन बिजली विभाग की नई प्लानिंग को लेकर कर रहे हैं। किसान यूपीसीएल ( उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेट लिमिटेड) से जुड़ा रहना चाहते हैं, वो एनपीसीएल ( नोएडा प्राइवेट कंपनी लिमिटेड) से नहीं जुड़ना चाहते हैं। किसानों का आरोप है कि बिजली विभाग ग्रामीण क्षेत्रों की बिजली प्राइवेट कंपनी एनपीसीएल से जोड़ना चहाते हैं। किसानों की तरफ से कहा गया कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो जल्दी जन आंदोलन किया जाएगा

महंगी बिजली दरों से परेशान हैं किसान

किसानों ने Now Noida से बातचीत के दौरान बताया कि वो एनपीसीएल की महंगी बिजली दरों में नहीं पड़ना चाहते हैं। तहसील अध्यक्ष राजकुमार ने बताया कि रुखपास, सादोपुर, चांद सिवाना, डेरी मच्चा, आमका जैसे गावों को यूपीसीएल से हटाकर एनपीसीएल में बदलने की प्रक्रिया चल रही है। अगर ऐसा होता है तो सब जन आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। हर गांव में हर जन-जन बच्चा, बिजली विभाग पर आकर धरना प्रदर्शन करेगा।

तहसील अध्यक्ष राजकुमार ने आगे हाई-फाई बिजली दरों का जिक्र करते हुए कहा कि हमें प्राइवेट और 24 घंटे बिजली की जरुरत नहीं है। यूपीसीएल हमें जो 18 घंटे बिजली दे रही है, वो ही बढ़िया है। हमें उनसे दिक्कत है कि उनकी तानाशाही चल रही है। धरना प्रदर्शन कर रहा है, इनकी जो रीडिंग है वो काफी हाई-फाई है, बिजली का बिल है, वो भी हाई-फाई है। अभी हमारे पास कोई अधिकारी नहीं आया है, लेकिन हमने सूचना दे दी है। अगर समझौता नहीं होता है, तो हम सख्त कदम उठाएंगे।

धरने में शामिल गीता नागर ने बिजली की महंगी दरों से गरीब किसानों के परेशान होने की बात कही है। उन्होंने भी बताया कि हर किसान इस तरह से बिजली प्राप्त करके घर चलाने के लिए सक्षम नहीं है। मौजूदा समय में अधिकारियों से कोई बात नहीं हुई है, वो तो बचना ही चाहते हैं। लेकिन अगर अधिकारी बात नहीं मानते हैं, तो गांव के तमाम लोगों संग धरना प्रदर्शन और आंदोलन होगा।

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