प्रयागराज, जिसे तीर्थों का राजा कहा जाता है, महाकुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ का केंद्र बनता है। 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान के बाद यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन कर अपनी यात्रा पूरी मानते हैं। 45 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक उत्सव का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। आइए, जानते हैं प्रयागराज के उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में, जिनके दर्शन के बिना आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।

महाकुंभ के इस पावन अवसर पर प्रयागराज के इन मंदिरों के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है। श्रद्धालु यहां अपनी धार्मिक यात्रा को पूर्ण करते हैं और पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।

लेटे हनुमान जी मंदिर
प्रयागराज में स्थित लेटे हनुमान जी का मंदिर बेहद खास है। यहां हनुमान जी की 20 फीट लंबी प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में है। मान्यता है कि संगम में स्नान के बाद यहां दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मंदिर के बिना प्रयागराज की यात्रा को अधूरा माना जाता है।

नागवासुकी मंदिर
नागवासुकी मंदिर भी प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान नागवासुकी को रस्सी के रूप में प्रयोग किया गया था, जिसके बाद भगवान विष्णु ने उन्हें आराम के लिए प्रयागराज में रहने को कहा। इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों को विशेष लाभ होता है।

अलोपी मंदिर
अलोपी मंदिर, शक्तिपीठों में से एक है, जहां देवी दुर्गा के स्थान पर चुनरी में लिपटे पालने की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, यहां माता सती का दाहिना हाथ गिरा था, जो बाद में गायब हो गया। इस कारण इसे अलोपशंकरी कहा जाता है। महाकुंभ के दौरान इस मंदिर में दर्शन करने से श्रद्धालुओं को अद्भुत अनुभव मिलता है।

अक्षयवट मंदिर
अक्षयवट मंदिर में एक प्राचीन बरगद का पेड़ है, जिसे तीन हजार साल से भी अधिक पुराना माना जाता है। अक्षयवट को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को इस पवित्र पेड़ के दर्शन अवश्य करने चाहिए, क्योंकि इसे अमरता का प्रतीक माना जाता है।

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