ग्रेनो के शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ डेंटल साइंसेज और इंडियन सोसाइटी ऑफ पीरियडोनटोलॉजी एवं आईएसपी अध्ययन समूह के साथ सहयोग पीरियडोनटोलॉजी पर सेमिनार का आयोजन किया गया। लास्ट ईयर के बीडीएस छात्रों और अलग-अलग डेंटल के ट्रेनी ने इसमें पार्टिसिपेट किया।

‘पेरियोडोंटाइटिस की समस्या है कॉमन’

स्कूल ऑफ डेंटल साइंसेज के डीन डॉ एम सिद्धार्थ ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य उभरते दंत पेशेवरों को गहराई से जानने के लिए एक मंच प्रदान करना है। पेरियोडोंटाइटिस आम है लेकिन काफी हद तक इसे रोका जा सकता है। इसका कारण आमतौर पर खराब ओरल हाइजीन है। पेरियोडोंटाइटिस से दांत खराब हो सकते हैं।

पेरियोडोंटाइटिस हृदय और फेफड़ों की बीमारियों के लिए एक जोखिम की वजह हो सकती है। ये मसूड़ों का एक गंभीर संक्रमण है, जो मसूड़ों को नुकसान पहुंचाता है। साथ ही, जबड़े की हड्डी को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके लक्षणों में सूजन, लाल और दर्द भरे मसूड़े और मसूड़ों से खून आना शामिल हैं। ईलाज के लिए दांत के आस-पास बनी खाली जगहों की सफ़ाई डॉक्टर से कराई जाती है। इससे पास की हड्डी को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। गंभीर मामलों में, सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है।

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