प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ मेले में संतों और महात्माओं के आध्यात्मिक समागम के बीच एक विशेष आकर्षण बना है मात्र साढ़े तीन साल का बच्चा श्रवण पुरी, जिसे जूना अखाड़े के संतों ने संत का दर्जा दिया है। अपनी उम्र से विपरीत, श्रवण पुरी का व्यवहार और जीवनशैली पूरी तरह से संतों की तरह है, जो लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया है।

छोटे संत श्रवण पुरी आध्यात्मिक लक्षण
श्रवण पुरी जूना अखाड़े के अनुष्ठानों में नियमित रूप से भाग लेते हैं और आरती करते हैं। उनके गुरु अष्टकौशल महाराज बताते हैं कि उनका व्यवहार आम बच्चों से बिल्कुल अलग है। श्रवण पुरी को चॉकलेट के बजाय फल खाना पसंद है और वे तुतलाती भाषा में श्लोक और मंत्र उच्चारण करते हैं। उनका यह आध्यात्मिक झुकाव देखकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं।

तीन महीने की उम्र में आश्रम को समर्पित
हरियाणा के फतेहाबाद स्थित धारसूल क्षेत्र के एक दंपती ने अपनी मन्नत पूरी होने के बाद फरवरी 2021 में श्रवण पुरी को डेरा बाबा श्याम पुरी के आश्रम में दान कर दिया था, तब श्रवण पुरी की उम्र केवल तीन महीने की थी। आश्रम से जूना अखाड़े को समर्पित किए जाने के बाद से ही श्रवण पुरी की देखभाल संतों और गुरु भाइयों द्वारा की जा रही है।

संतों के बीच पल-बढ़ रहे श्रवण पुरी
महंत कुंदन पुरी का कहना है कि श्रवण पुरी का रहन-सहन और दिनचर्या संतों की तरह ही है। सर्दी के दिनों में उन्हें सुबह पांच बजे जगाया जाता है, जबकि गर्मियों में उनकी नींद चार बजे के पहले ही खुल जाती है। उनकी दिनचर्या में संतों की तरह ही अनुशासन और साधना शामिल है।

बच्चों में भगवान का वास
प्रयागराज में महाकुंभ मेले की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, जहां इस साल 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। ऐसे में श्रवण पुरी जैसे छोटे संत का वहां होना श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत अनुभव होगा। संतों का कहना है कि बच्चों में भगवान का वास होता है और श्रवण पुरी का यह स्वरूप जगत के लिए कल्याणकारी है।

महाकुंभ में श्रवण पुरी का आध्यात्मिक जीवन न केवल श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणादायक है बल्कि यह उनके जीवन में आध्यात्मिकता का अनूठा संदेश भी लेकर आया है।

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