सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में होने वाली बुलडोजर कार्रवाई को लेकर दिशा-निर्देश तय किए और कहा कि बिना ‘कारण बताओ नोटिस’ के किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्रभावितों को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि इससे संगठित अपराध पर शिकंजा कसने और अपराधियों में कानूनी नतीजों का डर पैदा करने में मदद मिलेगी। वहीं, विपक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से राज्य में “बुलडोजर आतंक” और “जंगल राज” खत्म हो जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले को फैसला सुनाया है, वह उत्तर प्रदेश से जुड़ा नहीं था। बल्कि यह मामला उत्तरी दिल्ली नगर निगम व अन्य बनाम जमीयत उलेमा-ए-हिंद का था।
इन तीन जगहों पर जारी रहेगा बुलडोजर एक्शन
किसी अपराध के आरोपितों के घर और ठिकाने आनन-फानन में बुलडोजर से गिरा देने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसके आदेश का अर्थ यह नहीं है कि अवैध निर्माण और अतिक्रमण करने वालों को एक प्रकार कानूनी संरक्षण मिल गया है।बुलडोजर न्याय पर 95 पृष्ठ के अपने अपने अहम फैसले में कहा है कि हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि उसने इस प्रकार की कार्रवाई को लेकर जो भी दिशा-निर्देश दिए हैं, वे किसी सार्वजनिक स्थान पर किए गए अनधिकृत निर्माण पर लागू नहीं होंगे। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी नदी के आसपास किए जाने वाले अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही अदालत ने यह भी साफ तौर पर कहा है कि जिन मामलों में किसी अदालत की ओर निर्माण गिराने का आदेश दिया जा चुका है, उनमें भी इस फैसले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।