NCAP ने दिल्ली और नोएडा को दिया ये सुधारने का निर्देश, कहा- कम से कम 75 प्रतिशत तक का आंकड़ा करें पार

- Nownoida editor2
- 10 Sep, 2025
Noida: नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) की निगरानी कर रही केंद्रीय पैनल ने दिल्ली और नोएडा को प्रदूषण नियंत्रण फंड के इस्तेमाल में पिछड़ने पर तुरंत सुधार के कदम उठाने का निर्देश दिया है. यह फैसला 21 अगस्त को NCAP के तहत इंप्लीमेंटेशन कमेटी (IC) की 18वीं बैठक में लिया गया.
75 प्रतिशत तक करने का निर्देश
इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अध्यक्ष ने की थी. बैठक का उद्देश्य
प्रोग्राम के क्रियान्वयन की समीक्षा और निगरानी करना था. हाल ही में जारी की गई
बैठक के मिनटों के अनुसार, कमेटी ने कहा कि "सभी
कार्यान्वयन एजेंसियों को फंड के इस्तेमाल में तेजी लानी चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि किसी भी शहर में यह 75 प्रतिशत से कम न
हो."
130 शहरों में हो रहा काम
2019 में शुरू किया गया एनकैप, स्वच्छ हवा के लक्ष्य निर्धारित करने वाला भारत का पहला राष्ट्रीय
कार्यक्रम है. इसका लक्ष्य 2019-20 को आधार वर्ष मानकर 2026 तक कण प्रदूषण में 40
प्रतिशत की कमी लाना है. एनकैप में शामिल शहरों में से 82 शहरों को सीधे केंद्रीय
पर्यावरण मंत्रालय से फंडिंग मिलती है, जबकि 48 ऐसे शहर और
शहरी इलाके जिनकी आबादी 10 लाख से अधिक है, उन्हें 15वें
वित्त आयोग से फंडिंग मिलती है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला कि इस कार्यक्रम की शुरुआत
के बाद से 130 शहरों के लिए आवंटित कुल 13,236.77
करोड़ रुपये में से 18 अगस्त तक केवल 9,585 करोड़ रुपये
(72.4 प्रतिशत) का ही उपयोग किया गया था.
नोएडा ने 11 प्रतिशत किए खर्च
डेटा के अनुसार, नोएडा (उत्तर प्रदेश) ने
अपने आवंटन का केवल 11.14 प्रतिशत, विशाखापत्तनम (आंध्र
प्रदेश) 30.51 प्रतिशत और दिल्ली 32.65 प्रतिशत उपयोग किया. विजयवाड़ा (आंध्र
प्रदेश) ने 41.09 प्रतिशत, जालंधर (पंजाब) 43.51 प्रतिशत,
गुलबर्ग (कर्नाटक) 43.7 प्रतिशत, श्रीनगर
(जम्मू और कश्मीर) 44.12 प्रतिशत और जमशेदपुर (झारखंड) 44.24 प्रतिशत खर्च किया.
ये भी पूरा नहीं कर पाए कर्च
उज्जैन (मध्य प्रदेश), गया (बिहार), शिवसागर (असम), दुर्गापुर
(पश्चिम बंगाल), कालिंनगर (ओडिशा), नलबाड़ी
(असम), जलगांव (महाराष्ट्र), फरीदाबाद
(हरियाणा), नागपुर (महाराष्ट्र), रांची
(झारखंड), हैदराबाद (तेलंगाना) और बैंगलोर (कर्नाटक) सहित 12
अन्य शहरों और शहरी क्षेत्रों में फंड का उपयोग 75 प्रतिशत से कम रहा.
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