नया बिल्डिंग बायलॉज; नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में एक जैसे भवन निर्माण नियम लागू होंगे

- Nownoida editor1
- 11 Sep, 2025
Noida: नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में अब भवन निर्माण के लिए एक जैसे नियम लागू किए जाने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने तीनों प्राधिकरणों में एक समान बिल्डिंग बायलॉज लाने का मसौदा तैयार किया है। सरकार का कहना है कि इस बदलाव से निर्माण कार्य आसान होगा, निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और कागजी औपचारिकताओं में कमी आएगी।
ग्राउंड कवरेज की सीमा में बदलाव
नए बायलॉज का सबसे बड़ा बदलाव ग्राउंड कवरेज की सीमा से जुड़ा है। फिलहाल उद्योगों को 35 से 60 प्रतिशत, हाउसिंग प्रोजेक्ट को 35 से 40 प्रतिशत और संस्थागत व व्यावसायिक निर्माण को 30 से 60 प्रतिशत प्लॉट तक निर्माण की अनुमति है। लेकिन नए नियमों में यह पाबंदी पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी। इससे बिल्डरों को निर्माण की अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। इसके अलावा फ्लोर एरिया रेशो यानी एफएआर भी बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। राज्य स्तरीय समिति ने एक सितंबर को इस मसौदे की समीक्षा की थी। इसमें ग्राउंड कवरेज के साथ-साथ एफएआर, सेटबैक, इमारतों की ऊंचाई, पार्किंग और हरियाली से जुड़े प्रावधानों में भी बदलाव सुझाए गए हैं। इससे पहले जुलाई में प्रदेश सरकार ने शहरी विकास प्राधिकरण और हाउसिंग बोर्ड के लिए नए बायलॉज पास किए थे, लेकिन वे नियम नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण पर लागू नहीं थे।
पार्किंग नियम होंगे आसान
पार्किंग नियमों में भी बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं। मौजूदा व्यवस्था में व्यावसायिक क्षेत्र में हर 30 से 100 वर्गमीटर में एक पार्किंग की अनिवार्यता है। संस्थागत क्षेत्र में 22 से 100 वर्गमीटर और उद्योगों में हर 100 वर्गमीटर पर पार्किंग देनी होती है। नए नियम लागू होने के बाद उद्योगों में हर 300 वर्गमीटर पर एक पार्किंग अनिवार्य होगी। ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में प्रति फ्लैट एक से डेढ़ पार्किंग की व्यवस्था रहेगी। संस्थागत भवनों में 85 से 200 वर्गमीटर और व्यावसायिक क्षेत्र में 50 से 500 वर्गमीटर पर एक पार्किंग की अनिवार्यता होगी। दावा किया जा रहा है कि इससे जमीन का बड़ा हिस्सा केवल पार्किंग के लिए व्यर्थ नहीं जाएगा।
ग्रीन बेल्ट एरिया में बदलाव
हरियाली क्षेत्र के नियमों में भी ढील दी जाएगी। फिलहाल शहरों में 25 से 50 प्रतिशत जमीन हरित क्षेत्र के लिए सुरक्षित रखनी होती है, जबकि आवास विकास प्राधिकरणों में यह सीमा 10 से 15 प्रतिशत है। नए बदलावों में इसे घटाकर केवल पांच से 10 प्रतिशत किया जा सकता है। सरकार का मानना है कि इन संशोधनों से निवेशकों को सुविधा होगी और रियल एस्टेट सेक्टर को गति मिलेगी। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाली क्षेत्र घटाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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