नोएडा-ग्रेटर नोएडा-यीडा पर समान बिल्डिंग बायलाज लागू करना छलावा, कानूनी ढांचे के खिलाफ
- Nownoida editor1
- 12 Sep, 2025
Noida: एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) पर प्रदेश के अन्य शहरी विकास प्राधिकरणों की तरह समान बिल्डिंग बायलाज लागू करने के प्रस्ताव को तत्काल वापस लिया जाए। एसोसिएशन ने इसे “उद्योगों के साथ सीधा छलावा” और “कानूनी ढांचे के खिलाफ” बताया है।
औद्योगिक विकास के साथ अन्याय
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने बताया कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यीडा प्राधिकरणों का गठन उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 के तहत किया गया था, जबकि प्रदेश के अन्य विकास प्राधिकरण नगर निगम व शहरी विकास अधिनियम, 1973 के अंतर्गत आते हैं। दोनों ही अधिनियमों के उद्देश्य और प्रावधान अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्राधिकरणों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य उद्योगों को बढ़ावा देना, निवेश आकर्षित करना और रोजगार सृजन करना था, जबकि अन्य शहरी विकास प्राधिकरण निवासी एवं व्यावसायिक क्षेत्रों के विकास के लिए बने हैं। ऐसे में दोनों पर समान बिल्डिंग बायलाज लागू करना औद्योगिक विकास के साथ अन्याय है।
उद्योगों के साथ ठगी के समान
एसोसिएशन ने यह भी कहा कि हजारों उद्यमियों ने प्राधिकरणों से भूखंड खरीदकर उद्योग स्थापित किए हैं। अब समान बिल्डिंग बायलाज लागू करना पहले से स्थापित उद्योगों के साथ ठगी के समान है, क्योंकि उन्होंने मौजूदा औद्योगिक नीति और बायलाज के आधार पर निवेश किया था। नई नीति से उनका निवेश और उत्पादन दोनों प्रभावित होंगे। एसोसिएशन के अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में बिल्डिंग बायलाज उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप अलग होने चाहिए। शहरी/निवासी क्षेत्रों के नियम उद्योगों पर थोपने से नोएडा के औद्योगिक माहौल और निवेश दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन
एसोसिएशन ने माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि समान बिल्डिंग बायलाज का प्रस्ताव वापस लिया जाए। औद्योगिक प्राधिकरणों के लिए अलग उद्योगहितैषी बायलाज तैयार किए जाएं। पहले से भूखंड लेकर उद्योग चलाने वालों के अधिकारों और निवेश की कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि प्रदेश सरकार ने इस प्रस्ताव को वापस नहीं लिया तो यह मामला न्यायालय तक भी ले जाया जा सकता है, क्योंकि यह कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन और निवेशकों के साथ धोखा है।
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