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नोएडा सेक्टर-22 के 9000 परिवारों पर संकट, जानिए 41 साल बाद तीन हजार मकान क्यों अवैध घोषित?

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Noida: नोएडा सेक्टर-22 में बने करीब तीन हजार फ्लैट पर खतरा मंडरा रहा है। नोएडा अथॉरिटी द्वारा 1984 में जनता को फ्लैट आवंटित किए गए थे। उस समय अथॉरिटी ने आम लोगों के लिए एक मंजिला घर बनाकर दिए थे, लेकिन परिवार और जरूरतें बढ़ने के साथ लोगों ने धीरे-धीरे अपने घरों को बहुमंजिला बना लिया। अब 41 साल बाद नोएडा अथॉरिटी ने इन मकानों को अवैध निर्माण करार देते हुए घरों के बाहर नोटिस चस्पा कर दिए हैं।

एक महीने का अल्टीमेटम
नोएडा अथॉरिटी की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि एक महीने के भीतर अवैध निर्माण हटा लें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो कार्रवाई के साथ-साथ वसूली भी की जाएगी। नोटिस मिलने के बाद हजारों निवासी दहशत में हैं। लोगों का कहना है कि उन्होंने निर्माण अथॉरिटी की निगरानी में ही कराया था और अब अचानक इसे अवैध बताया जा रहा है।

निर्माण के समय कहां थे अथॉरिटी के अधिकारी
सेक्टर-22 निवासियों कहना है कि जब निर्माण हो रहा था तब अथॉरिटी के अधिकारी कहां थे? निर्माण उनके सामने हुआ और अब उसी को अवैध बताया जा रहा है। 41 साल पहले मिले एक मंजिला मकान था, लेकिन जैसे-जैसे परिवार बढ़े, वैसे-वैसे लोगों ने लोन लेकर या अपनी बचत से घर का विस्तार किया। किसी ने दो तो किसी ने तीन मंजिल तक निर्माण कराया। निवासी मोनू का कहना है कि घर के बाहर नालों पर कब्जा करने वालों पर कार्रवाई करना सही है, लेकिन मकानों की ऊपरी मंजिल को गिराने की धमकी देना सरासर अन्याय है।

9000 परिवार सड़क पर आ जाएंगे
जेपी ने बताया कि उन्होंने अपने मकान का विस्तार करीब 35 साल पहले किया था। इसके लिए ग्रेच्युटी और प्रोविडेंट फंड के पैसे का इस्तेमाल किया था। उस समय अथॉरिटी ने कोई आपत्ति नहीं की। अब इतने साल बाद अचानक नोटिस चस्पा कर कार्रवाई की बात कही जा रही है।  निवासियों का कहना है कि अगर कार्रवाई कर मकानों को तोड़ा गया तो लगभग 9000 परिवार बेघर हो जाएंगे। ये लोग कहाँ जाएंगे और अपने परिवार का क्या करेंगे? उनका आरोप है कि अथॉरिटी का यह रवैया प्रताड़ित करने जैसा है।

15 मीटर ऊंचाई तक घर बनाने की मिले अनुमति
वहीं, आरडब्लूए रेजिडेंट्स वेलफेयर महासमिति सेक्टर-22 के अध्यक्ष विजय सिंह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने नोएडा अथॉरिटी के सीईओ डॉ. लोकेश एम से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा है।  जिसमें मांग की गई कि धारा-10 के नोटिस को निरस्त किया जाए और दिल्ली व गाजियाबाद की तरह यहां भी 15 मीटर (स्टिल्ट पार्किंग सहित 17.5 मीटर) ऊँचाई तक निर्माण की अनुमति दी जाए। सीईओ डॉ. लोकेश एम ने निवासियों की समस्याओं को गंभीरता से सुना और भरोसा दिलाया कि इस पर जल्द ही नीति बनाकर निवासियों के हित में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि निर्णय होने के बाद इसकी सूचना सभी को उपलब्ध कराई जाएगी।

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