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नोएडा में स्थापित होगा बायोगैस प्लांट, हर दिन इतने टन कचरे से निकलेगा गैस, जानिए क्या है प्लान

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Noida: नोएडा प्राधिकरण ने शहर के कचरे के निपटान के लिए 300 टन प्रतिदिन (टीपीडी) क्षमता वाले एकीकृत नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र (आईएमएसडब्ल्यूएम) की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है. नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लोकेश एम ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने 300 टन प्रतिदिन क्षमता वाला एक नया संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है. ताकि हम अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के अनुसार अपने कचरे का उचित उपचार कर सकें. हम शहर को दैनिक कचरे के निपटान की क्षमता के मामले में आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं.

17 एकड़ जमीन पर लगेगा प्लांट

शहर के बढ़ते कचरे का वैज्ञानिक तरीके से प्रसंस्करण करने और बायो-सीएनजी/ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए डिज़ाइन की गई यह सुविधा सेक्टर 145 या अस्तोली गांव में विकसित की जाएगी, जहां परियोजना के लिए 17 एकड़ जमीन उपलब्ध है. नोएडा प्राधिकरण के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि नोएडा में प्रतिदिन 900-1,000 टन प्रतिदिन नगरपालिका अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसके आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण बढ़कर 1,500 टन प्रतिदिन हो जाने का अनुमान है.

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में होगा स्थापित

अपशिष्ट उपचार क्षमता बढ़ाने के इन उपायों में एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड (एनवीवीएन) द्वारा विकसित की जा रही 900 टन प्रतिदिन क्षमता वाली ग्रीन कोल सुविधा शामिल है, जिसमें से 600 टन प्रतिदिन क्षमता वाली इकाई नोएडा और 300 टन प्रतिदिन क्षमता वाली इकाई ग्रेटर नोएडा के लिए है. साथ ही, शहर भर में 40-40 टन प्रतिदिन क्षमता वाली छह विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट-से-ऊर्जा इकाइयां भी स्थापित की जा रही हैं.

पहले का एमओयू रद्द

यह कदम इंडो एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस लिमिटेड के साथ 2023 में 300 टन प्रतिदिन गीले अपशिष्ट से संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र बनाने के समझौते के विफल होने के बाद उठाया गया है. अधिकारियों ने बताया कि समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद भी जमीनी स्तर पर कोई प्रगति नहीं हुई, जिसके कारण प्राधिकरण को यह सौदा रद्द करना पड़ा. उन्होंने आगे कहा कि नई स्वीकृत परियोजना से इस कमी को पूरा करने और नोएडा के सतत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में प्रयासों में तेजी आने की उम्मीद है.

अधिकारियों ने कहा कि नई सुविधा के चालू होने से परिचालन लागत में काफी बचत होने के साथ-साथ लैंडफिल पर बोझ कम होने और कार्बन उत्सर्जन कम होने जैसे पर्यावरणीय लाभ भी होंगे.

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