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नोएडा में बिकने वाली 6 दवाओं में मिली गड़बड़ी, 6 महीने में 118 दवाओं की जांच कराई गई

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Noida: राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। इसी के चलते नोएडा औषधि विभाग ने पिछले छह माह में 118 दवाओं के सैंपल जांच के लिए लिए। इनमें से 72 दवाएं मानक के अनुरूप पाई गईं, जबकि 6 दवाएं फेल हो गईं। शेष 40 सैंपलों की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। विभाग ने फेल पाई गई दवाओं की कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

गोरखपुर लैब में भेजे गए सैंपल
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि औषधि विभाग दवाओं की गुणवत्ता की लगातार जांच करता है। अप्रैल से सितंबर के बीच जिले के विभिन्न मेडिकल स्टोरों से 118 सैंपल लिए गए थे, जिनमें टैबलेट, कैप्सूल, सिरप और मरहम शामिल हैं। सभी सैंपल जांच के लिए गोरखपुर स्थित प्रयोगशाला में भेजे गए। अब तक 78 रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं, जिनमें 72 दवाएं मानकों पर खरी उतरीं जबकि 6 असफल रहीं। इन मामलों में दो कंपनियों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं, दो मामलों को हेडक्वार्टर रेफर किया गया है और दो की जांच जारी है।

पांच दिन में लिए गए 25 कफ सिरप के सैंपल
कफ सिरप से संबंधित घटनाओं के बाद विभाग ने इसकी जांच तेज कर दी है। छह से 11 अक्तूबर के बीच 25 कफ सिरप के सैंपल मेडिकल स्टोरों से लेकर जांच के लिए भेजे गए। पहले ये सैंपल लखनऊ भेजे जाते थे, लेकिन अब गोरखपुर भेजे जा रहे हैं, जहां से रिपोर्ट आने में लगभग दो महीने लगते हैं। औषधि विभाग के अनुसार फेल हुई दवाओं में डीआरएस कैप्सूल, ओन्डेनसेट्रॉन टैबलेट और एमोक्सीसिलिन टैबलेट शामिल हैं। डीआरएस कैप्सूल आमतौर पर गैस या पेट की समस्या के लिए दी जाती है, ओन्डेनसेट्रॉन टैबलेट उल्टी रोकने के लिए और एमोक्सीसिलिन टैबलेट एंटीबायोटिक के रूप में उपयोग होती है।

डॉक्टर और फार्मासिस्ट रखें विशेष ध्यान
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. ललित कुमार ने कहा कि बच्चों को कफ सिरप देने से पहले डॉक्टरों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दवा में मौजूद सॉल्ट बच्चों के लिए सुरक्षित हो। वहीं फार्मासिस्ट को दवा का नाम और सॉल्ट ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए और वही दवा देनी चाहिए जो डॉक्टर ने लिखी हो। किसी भी स्थिति में दवा बदलनी नहीं चाहिए।

नोएडा की कंपनी पर पहले भी उठे थे सवाल
साल 2022 में उज्बेकिस्तान में भारतीय कफ सिरप के सेवन से 18 बच्चों की कथित मौत का मामला सामने आया था। इसमें नोएडा सेक्टर-67 स्थित एक दवा निर्माण कंपनी पर कार्रवाई की गई थी। उस समय कंपनी के सैंपल जांच के लिए लिए गए थे और उसका ड्रग लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह के अनुसार यह मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है और कंपनी बंद है।

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