नोएडा प्राधिकरण का बिल्डरों पर शिकंजा, दो सोसायटियों के बाहर लगाया बकाए के बोर्ड
- Nownoida editor1
- 14 Oct, 2025
Noida: अमिताभ कांत समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन कई बिल्डरों ने अब तक अपनी बकाया राशि नोएडा प्राधिकरण के खाते में जमा नहीं की है। इसको लेकर प्राधिकरण ने सख्त रुख अपनाते हुए ऐसे बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
सोसाइटियों के बाहर लगाए जा रहे बोर्ड
प्राधिकरण ने ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं की उन सोसायटियों के बाहर सरकारी जमीन पर बड़े-बड़े होर्डिंग लगवाना शुरू कर दिया है, जिन पर करोड़ों रुपये का बकाया है। इन होर्डिंग्स पर बिल्डर का नाम और परियोजना का विवरण लिखा जा रहा है, ताकि खरीदारों और आम लोगों को स्थिति की स्पष्ट जानकारी मिल सके। इसकी शुरुआत सेक्टर-110 स्थित लोटस पनाश और सेक्टर-137 की सुपरटेक इको सिटी से की गई है। इन दोनों परियोजनाओं के बाहर प्राधिकरण ने बकाया का बोर्ड लगवाया है। साथ ही ऐसी परियोजनाओं की सूची प्राधिकरण की वेबसाइट पर भी अपलोड की जाएगी।पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लगाए जा रहे बोर्ड
प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने बताया कि यह कार्रवाई दंडात्मक नहीं है, बल्कि पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है। सिर्फ लोगों को यह बताना चाहते हैं कि किस परियोजना पर कितना बकाया है। होर्डिंग सोसायटी के बाहर, सरकारी भूमि पर लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एनसीएलटी में चल रहीं परियोजनाओं पर भी ऐसे ही बोर्ड लगाए जा रहे हैं, हालांकि कुछ स्थानों पर निवासियों ने इस पर आपत्ति जताई है।
3,700 से अधिक खरीदारों की हो चुकी रजिस्ट्री
29 सितंबर तक कुल 57 बिल्डर परियोजनाओं में से 35 बिल्डरों ने अमिताभ कांत रिपोर्ट का लाभ लिया। इनमें से केवल 528.13 करोड़ रुपये की राशि ही जमा कराई गई। छह बिल्डरों ने पूरी राशि चुकाई, जबकि 13 बिल्डरों ने आंशिक भुगतान करते हुए करीब 28.60 करोड़ रुपये दिए। इन भुगतानों से अब तक 5758 फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री संभव हो सकी, जिनमें से 3724 खरीदारों की रजिस्ट्री पूरी भी हो चुकी है। बोर्ड ने पाया कि कई परियोजनाओं ने सहमति के बावजूद भुगतान नहीं किया। 10 परियोजनाओं ने बकाया नहीं दिया, 13 ने आंशिक भुगतान किया और 35 ने 25 प्रतिशत के बाद आगे कोई धनराशि नहीं चुकाई।
आगे होगी और सख्ती
डॉ. लोकेश एम ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में बकायेदार बिल्डरों पर और सख्त कार्रवाई की जाएगी। शासनादेश के तहत दी गई रियायतों की समयसीमा अब आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। जिन परियोजनाओं पर अभी भी बकाया है, उनसे वसूली नियमों के अनुसार की जाएगी। नीतिगत लाभ लेने के बावजूद कई बिल्डरों ने भुगतान नहीं किया है, इसलिए अब पारदर्शी तरीके से यह जानकारी सार्वजनिक की जा रही है।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *







